रामदरश मिश्र: हिंदी साहित्य के महान विद्वान का निधन

रामदरश मिश्र, हिंदी साहित्य के एक प्रमुख विद्वान, का 31 अक्टूबर को 102 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनके योगदान ने हिंदी और भोजपुरी साहित्य को नई दिशा दी। प्रधानमंत्री मोदी ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया और कहा कि उनका जाना एक बड़ी क्षति है। मिश्र जी की शिक्षा बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से हुई थी, जहां उन्होंने हिंदी में बैचलर, मास्टर और पीएचडी की डिग्री प्राप्त की। उनके करियर में दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के रूप में कार्य करने का महत्वपूर्ण योगदान रहा। जानें उनके जीवन और कार्यों के बारे में अधिक जानकारी।
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रामदरश मिश्र: हिंदी साहित्य के महान विद्वान का निधन

रामदरश मिश्र का निधन

रामदरश मिश्र: हिंदी साहित्य के महान विद्वान का निधन

रामदरश मिश्र.Image Credit source: Ramdarash Mishra/X

प्रसिद्ध हिंदी साहित्यकार रामदरश मिश्र का 31 अक्टूबर को 102 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनके निधन पर प्रधानमंत्री मोदी ने गहरा शोक व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि मिश्र जी का योगदान हिंदी और भोजपुरी साहित्य को महत्वपूर्ण दिशा देने वाला रहा है। उनका निधन दिल्ली में बीमारी के कारण हुआ। उन्हें पद्म श्री पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था। आइए जानते हैं उनकी शिक्षा और डिग्रियों के बारे में।

पीएम मोदी ने अपने आधिकारिक X हैंडल पर लिखा कि रामदरश मिश्र के निधन से मुझे गहरा दुख हुआ है। उनका जाना हिंदी और भोजपुरी साहित्य के लिए एक बड़ी क्षति है। उनकी रचनाएं हमेशा याद की जाएंगी। इस दुखद समय में उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति मेरी संवेदनाएं हैं।

रामदरश मिश्र की शिक्षा

रामदरश मिश्र का जन्म 15 अगस्त 1924 को गोरखपुर जिले के डुमरी गांव में हुआ। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सरकारी स्कूल से प्राप्त की। इसके बाद, उन्होंने राष्ट्रभाषा विद्यालय से विशारद और साहित्यरत्न की परीक्षाएं उत्तीर्ण कीं। उच्च शिक्षा उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से प्राप्त की, जहां उन्होंने हिंदी में बैचलर और मास्टर डिग्री हासिल की। इसके अलावा, उन्होंने हिंदी से पीएचडी भी की।

रामदरश मिश्र का करियर

पीएचडी की डिग्री प्राप्त करने के बाद, उन्हें गुजरात के बड़ौदा में सयाजीराव गायकवाड़ विश्वविद्यालय में नौकरी मिली। कुछ समय बाद, वे दिल्ली विश्वविद्यालय में शामिल हो गए और 1990 में प्रोफेसर के पद से रिटायर हुए। उनके नाम पर हिंदी साहित्य पर लगभग 150 किताबें प्रकाशित हैं। हिंदी में उनके योगदान के लिए भारत सरकार ने उन्हें पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया था।

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