राम प्रसाद बिस्मिल: एक महान स्वतंत्रता सेनानी की कहानी

राम प्रसाद बिस्मिल का परिचय
भारत की स्वतंत्रता की प्राप्ति आसान नहीं थी। अनेक साहसी पुरुषों और महिलाओं ने अपने प्राणों की आहुति दी ताकि हम एक स्वतंत्र देश में जी सकें। इनमें से एक महान नायक थे राम प्रसाद बिस्मिल।
राम प्रसाद बिस्मिल का जन्मदिन
आज, 11 जून 2025, राम प्रसाद बिस्मिल की 127वीं जयंती है, जो भारत के स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रसिद्ध क्रांतिकारी, कवि और नेता थे। उन्होंने ब्रिटिश शासकों द्वारा मौत की सजा पाए जाने के बाद भी अपने जीवन में प्रेरणा दी। उनका जीवन आज भी लाखों भारतीयों, विशेषकर युवाओं को अपने देश के प्रति प्रेम और न्याय के लिए खड़े होने की प्रेरणा देता है।
स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका
राम प्रसाद बिस्मिल ने युवा अवस्था में ही स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेना शुरू किया। उन्हें ब्रिटिशों द्वारा भारतीयों के साथ किए गए अन्याय से नफरत थी। उन्होंने हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन (HRA) नामक एक गुप्त क्रांतिकारी समूह में शामिल होकर ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ाई लड़ी।
काकोरी षड्यंत्र
बिस्मिल के जीवन की एक महत्वपूर्ण घटना थी काकोरी षड्यंत्र। 9 अगस्त 1925 को, बिस्मिल और अन्य क्रांतिकारियों ने काकोरी के पास एक ट्रेन को रोका और ब्रिटिश सरकार के खजाने से पैसे चुराए। उन्होंने यह धन स्वतंत्रता गतिविधियों के लिए जुटाया।
बाद में, ब्रिटिशों ने कई क्रांतिकारियों को गिरफ्तार किया, जिनमें बिस्मिल भी शामिल थे। उन्हें मौत की सजा सुनाई गई और 19 दिसंबर 1927 को फांसी दी गई, जब उनकी उम्र केवल 30 वर्ष थी।
राम प्रसाद बिस्मिल की देशभक्ति कविताएँ
राम प्रसाद बिस्मिल एक प्रतिभाशाली कवि और लेखक भी थे। उनकी कविताएँ देश के प्रति प्रेम से भरी थीं और उन्होंने कई लोगों को स्वतंत्रता के लिए लड़ने के लिए प्रेरित किया।
उनकी कुछ प्रसिद्ध देशभक्ति कविताएँ हैं:
- “सरफरोशी की तमन्ना”
- “मेरा जन्म ही मर मिटने के लिए हुआ है”
- “मन की लहर”
प्रसिद्ध पंक्तियाँ, “सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है जोर कितना बाजू-ए-कातिल में है,” युवा स्वतंत्रता सेनानियों के लिए एक युद्ध गान बन गईं और राम प्रसाद बिस्मिल द्वारा लोकप्रिय की गईं।