राम और सीता की पहली मुलाकात: विवाह पंचमी का महत्व

विवाह पंचमी के अवसर पर जानें भगवान राम और माता सीता की पहली मुलाकात का महत्व। यह पौराणिक कथा जनकपुर के पुष्प वाटिका में हुई थी, जहां दोनों ने एक-दूसरे को पहली बार देखा। इस लेख में हम इस ऐतिहासिक मिलन की कहानी और उसके पीछे की धार्मिक मान्यताओं पर चर्चा करेंगे।
 | 
राम और सीता की पहली मुलाकात: विवाह पंचमी का महत्व

भगवान राम और माता सीता का मिलन

राम और सीता की पहली मुलाकात: विवाह पंचमी का महत्व

भगवान और सीता माता का मिलन

मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को विवाह पंचमी का पर्व मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान राम और माता सीता का विवाह हुआ था। इसी कारण इस तिथि को राम-सीता विवाह की वर्षगांठ के रूप में मनाया जाता है। तुलसीदास की रचना रामचरितमानस में भगवान राम और माता सीता की विवाह से पूर्व मुलाकात का वर्णन मिलता है। आइए जानते हैं कि विवाह से पहले भगवान श्री राम और माता सीता की मुलाकात कैसे और कहां हुई थी।

राम और सीता का विवाह से पहले मिलन

पौराणिक मान्यता के अनुसार, भगवान राम और माता सीता की पहली मुलाकात जनकपुर के पुष्प वाटिका में हुई थी। जब राम और लक्ष्मण अपने गुरु के साथ फूल लेने गए थे, तब सीता अपनी सखियों के साथ पूजा करने आई थीं। यहीं पर पहली नजर में प्रेम का संयोग हुआ, जहां दोनों ने एक-दूसरे को देखकर एक-दूसरे पर मोहित हो गए थे।

भगवान राम और माता सीता के पहले मिलन की कथा

भगवान श्रीराम और सीता माता की विवाह से पूर्व मुलाकात जनकपुर के पुष्प वाटिका में हुई थी। त्रेतायुग में एक बार भगवान राम अपने गुरु वशिष्ठ की आज्ञा से पूजा के लिए फूल लाने गए थे। उस समय माता सीता भी अपनी सखियों के साथ गिरिजा भवानी की पूजा करने आई थीं। जब माता सीता ने प्रभु राम को देखा, तो दोनों एक-दूसरे के प्रति आकर्षित हो गए।

उसी समय माता सीता ने अपने मन में प्रभु राम को पति के रूप में स्वीकार कर लिया और मां पार्वती से प्रार्थना की कि वे श्री राम को ही पति के रूप में पाएं। लेकिन माता सीता अपने पिता जनक द्वारा रखी गई शर्त को लेकर चिंतित थीं। राजा जनक ने माता सीता के लिए वर का चयन करने के लिए एक शर्त रखी थी, जिसके अनुसार, जो भी महान व्यक्ति शिव धनुष को उठाकर तोड़ देगा, उसी के साथ माता सीता का विवाह होगा।

इस स्थिति में माता सीता ने भगवान राम को पति के रूप में पाने के लिए देवी पार्वती से प्रार्थना की और अपनी चिंता व्यक्त की। देवी पार्वती ने माता सीता को आश्वस्त किया कि भगवान राम का विवाह आपके साथ ही होगा।