रात के समय आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर बढ़ते हादसे: जानें कारण और समाधान
रात में सफर: जानलेवा साबित हो रहा है
आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर रात का सफर अब खतरनाक होता जा रहा है। रात 12 बजे से सुबह 8 बजे के बीच सबसे अधिक दुर्घटनाएं और जानें जा रही हैं। जनवरी से सितंबर 2025 के बीच इस एक्सप्रेस-वे पर कुल 1077 हादसे हुए, जिनमें से 583 रात में और 494 दिन में हुए।
विशेष रूप से, रात 12 बजे से सुबह 8 बजे के बीच 66 लोगों की जान गई, जबकि अन्य समय में केवल 28 मौतें हुईं। यह जानकारी उत्तर प्रदेश एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा) द्वारा अधिवक्ता केसी जैन को प्रदान की गई है।
अधिवक्ता केसी जैन ने सुझाव दिया है कि रात के समय वाहनों की गति सीमा को घटाकर 75 किमी प्रति घंटा किया जाए। यह परिवर्तन मोटर वाहन अधिनियम की धारा 112 (2) के तहत उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा लागू किया जा सकता है।
सरकार को मुफ्त डॉर्मेटरी और विश्राम स्थलों की व्यवस्था करनी चाहिए, जो पेट्रोल पंपों, जन सुविधाओं और टोल प्लाजा के निकट हों। इसके साथ ही, सस्ती चाय और भोजन की सुविधा भी उपलब्ध करानी चाहिए। हर टोल प्लाजा और जनसुविधा केंद्र पर डिजिटल बोर्ड लगाए जाने चाहिए, जिन पर लिखा हो कि रात की नींद, मौत की नींद न बने।
यहां कुछ आंकड़े हैं: रात 12 से सुबह 8 बजे के बीच कुल 66 मौतें हुईं, जिनमें से 42 नींद/झपकी के कारण, 21 ओवरस्पीडिंग के कारण और 27 अन्य कारणों से हुईं।
कुछ महत्वपूर्ण बिंदु जिन पर ध्यान देने की आवश्यकता है: चालक की नींद और झपकी, तेज रफ्तार, लेन अनुशासन की कमी, सुविधाओं की अनुपलब्धता, और खराब रोशनी।
यमुना एक्सप्रेस-वे पर भी स्थिति कम चिंताजनक नहीं है। आईआईटी दिल्ली की एक रिपोर्ट के अनुसार, रात 12 बजे से सुबह 6 बजे के बीच यमुना एक्सप्रेस-वे पर सबसे अधिक हादसे होते हैं।
