राज्यसभा में बिहार के मतदाता सूची संशोधन पर चर्चा की मांग

खरगे का पत्र और चर्चा की आवश्यकता
राज्यसभा में विपक्ष के नेता, मल्लिकार्जुन खरगे, ने उपसभापति हरिवंश को पत्र लिखकर बिहार में चल रहे विशेष गहन संशोधन पर चर्चा की अनुमति देने का आग्रह किया है।
6 अगस्त को भेजे गए पत्र में, खरगे ने 21 जुलाई 2023 को राज्यसभा के पूर्व अध्यक्ष द्वारा दिए गए एक निर्णय का उल्लेख किया, जिसमें कहा गया था कि सदन को "पृथ्वी पर सब कुछ चर्चा करने का अधिकार है, केवल एक प्रतिबंध के साथ।" यह एकमात्र प्रतिबंध सुप्रीम कोर्ट या उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के कार्यों पर चर्चा करने से संबंधित है, जब तक कि उनके निष्कासन के लिए औपचारिक प्रस्ताव प्रस्तुत नहीं किया जाता।
खरगे ने इस संदर्भ में यह भी कहा कि 'सुप्रीम कोर्ट के मामलों का विचाराधीन होना' पूरी तरह से गलत समझा गया है। उन्होंने उपसभापति को याद दिलाया कि "अध्यक्ष एक निरंतर संस्था है," और पिछले निर्णय वर्तमान निर्णयों का मार्गदर्शन करने चाहिए। "आपने अपने कई निर्णयों के समर्थन में पिछले वर्षों में अध्यक्ष द्वारा दिए गए निर्णयों का उल्लेख किया है," खरगे ने जोड़ा।
खरगे के अनुसार, भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन संशोधन की प्रक्रिया शुरू की है, और इसी तरह के कार्य पश्चिम बंगाल, असम और अन्य राज्यों में भी किए जाने की योजना है। विपक्ष के सांसद इस मुद्दे पर चर्चा की मांग कर रहे हैं, क्योंकि यह लोकतांत्रिक प्रतिनिधित्व पर प्रभाव डाल सकता है।
उन्होंने लिखा, "यह मुद्दा हमारे लोकतंत्र में मौलिक महत्व रखता है। यह करोड़ों मतदाताओं के लिए, विशेषकर समाज के कमजोर वर्गों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।"
खरगे ने उपसभापति हरिवंश से इस मामले पर तुरंत चर्चा की अनुमति देने का आग्रह किया, यह कहते हुए कि विपक्ष पारदर्शिता और चुनावी अखंडता के हित में इस मुद्दे को उठाना चाहता है।
यह पत्र विपक्ष और सरकार के बीच चुनावी प्रक्रियाओं को लेकर बढ़ते तनाव को दर्शाता है, क्योंकि मतदाता अधिकारों के हनन और प्रशासनिक अस्पष्टता के आरोप राजनीतिक बहस को बढ़ावा दे रहे हैं।
आज सुबह, केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने स्पष्ट किया कि बिहार में चल रहे विशेष गहन संशोधन प्रक्रिया पर लोकसभा में चर्चा संभव नहीं है, क्योंकि यह मामला वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट में लंबित है और संसद के नियमों के तहत ऐसे मामलों पर चर्चा की अनुमति नहीं है।
उन्होंने यह भी कहा कि लोकसभा की कार्यविधि के नियम लंबित मामलों पर चर्चा की अनुमति नहीं देते हैं। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि स्वतंत्र संस्थाओं जैसे चुनाव आयोग के कार्यों पर संसद में चर्चा नहीं की जा सकती।