राज्यसभा ने बीमा कानूनों में महत्वपूर्ण संशोधन पारित किया

राज्यसभा ने हाल ही में 'सबका बीमा सबकी रक्षा' अधिनियम 2025 को पारित किया, जिसका उद्देश्य 2047 तक हर नागरिक को बीमा कवर उपलब्ध कराना है। इस विधेयक में पॉलिसीधारकों के हितों की सुरक्षा और आर्थिक सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण संशोधन शामिल हैं। 100 प्रतिशत विदेशी निवेश की अनुमति से नए उत्पाद और सेवाएं बाजार में आएंगी, जिससे ग्राहकों को बेहतर विकल्प मिलेंगे। जानें इस नए अधिनियम के प्रभाव और बीमा क्षेत्र में संभावित बदलावों के बारे में।
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बीमा क्षेत्र में नया अध्याय

राज्यसभा ने बीमा कानूनों में महत्वपूर्ण संशोधन पारित किया

नई दिल्ली। राज्यसभा ने हाल ही में ‘सबका बीमा सबकी रक्षा’ (बीमा कानूनों में संशोधन) अधिनियम 2025 को मंजूरी दी है। इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य 2047 तक हर भारतीय नागरिक को बीमा कवर प्रदान करना है। यह विधेयक पॉलिसीधारकों के हितों की सुरक्षा, उनकी आर्थिक सुरक्षा को बढ़ावा देने और पॉलिसीधारक शिक्षा एवं संरक्षण कोष की स्थापना के लिए बनाया गया है।

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारामण ने इस विधेयक को संसद में पेश किया, जिसका लक्ष्य पूरे देश में बीमा कवरेज का विस्तार करना है।

सरकार के प्रस्तावित संशोधनों में बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की सीमा को 74 प्रतिशत से बढ़ाकर 100 प्रतिशत करने का सुझाव दिया गया है। इसके साथ ही, कानून के तहत कंपनी के शीर्ष अधिकारियों में से किसी एक का भारतीय नागरिक होना अनिवार्य होगा। विधेयक में गैर-बीमा कंपनियों को बीमा कंपनियों में विलय की अनुमति देने का भी प्रावधान है, जिससे इस क्षेत्र में एकीकरण और विकास को बढ़ावा मिलेगा। इसके अतिरिक्त, एलआईसी अधिनियम में संशोधन के तहत इसके बोर्ड को शाखा विस्तार और भर्ती जैसे परिचालन संबंधी निर्णय लेने का अधिकार दिया जाएगा।

इस विधेयक का मुख्य उद्देश्य पॉलिसीधारकों के हितों की रक्षा करना और उनकी आर्थिक सुरक्षा को बढ़ाना है। यह पॉलिसीधारक शिक्षा एवं संरक्षण कोष की स्थापना का प्रावधान करता है, जिससे बीमा कंपनियों और अन्य हितधारकों के लिए व्यापार करना आसान होगा। इससे नियमों में पारदर्शिता आएगी और इस क्षेत्र पर नियामक निगरानी बढ़ेगी।

ग्रांट थॉर्नटन इंडिया के पार्टनर नरेंद्र गणपुले का कहना है कि यह निर्णय ग्राहकों के हित में लिया गया है। 100 प्रतिशत विदेशी निवेश से नई कंपनियों का आगमन होगा, जिससे ग्राहकों के पास अधिक विकल्प, नए उत्पाद, बेहतर मूल्य और सेवाएं उपलब्ध होंगी।

वे बताते हैं कि 100 प्रतिशत एफडीआई से विदेशी कंपनियां भारतीय बाजार में प्रवेश करेंगी और अपने उत्पादों को ग्राहकों के बीच लोकप्रिय बनाने के लिए बेहतर सेवाओं के साथ किफायती प्रीमियम की पॉलिसी पेश करेंगी। इससे ग्राहकों को किफायती दामों पर बेहतर कवरेज वाली पॉलिसी खरीदने का अवसर मिलेगा।

ग्राहकों की सुरक्षा के लिए नए कानूनों के तहत भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण को अधिक अधिकार दिए जाएंगे। इससे बाजार में गलत तरीके से बेचे जाने वाले उत्पादों पर नियंत्रण होगा और ग्राहकों के हितों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी। इसके अलावा, तेजी से क्लेम निपटान की प्रक्रिया भी होगी, जिससे ग्राहकों को लाभ होगा।

डेलॉयट इंडिया के पार्टनर देवाशीष बनर्जी का कहना है कि विदेशी कंपनियों के लिए भारतीय बाजार में संभावनाएं बढ़ रही हैं। नए नियमों की स्पष्टता से बाजार में प्रवेश आसान होगा। बीमा क्षेत्र के विशेषज्ञों का मानना है कि इससे बाजार में निवेश आएगा और नए उत्पादों के साथ विशेषज्ञता भी बढ़ेगी। हालांकि, इसकी सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि कंपनियां अपने उत्पादों को ग्राहकों तक कैसे पहुंचाती हैं।

इंडसइंड जनरल इंश्योरेंस के सीईओ राकेश जैन के अनुसार, भारत का बीमा उद्योग 2025 में वृद्धि देख रहा है, जिसमें ग्रॉस प्रीमियम 6.2 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 3.08 ट्रिलियन रुपये तक पहुंच गया है। फिर भी, नॉन लाइफ इंश्योरेंस की पहुंच अभी भी लगभग 1 प्रतिशत है, जो वैश्विक औसत 4 प्रतिशत से बहुत कम है। हेल्थ इंश्योरेंस की मांग सबसे अधिक है, जिसने प्रीमियम में एक तिहाई से अधिक का योगदान दिया है। यह बदलाव आर्थिक और नियामक परिवर्तनों के बीच उद्योग को मजबूती प्रदान करेगा।