राज्यसभा चुनाव 2026: 73 सीटों पर होगा बड़ा बदलाव, प्रमुख नेताओं की विदाई

राज्यसभा चुनाव 2026 में 73 सीटें रिक्त होंगी, जिससे कई प्रमुख नेताओं का कार्यकाल समाप्त होगा। यह चुनाव एनडीए और बीजेपी के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। जानें कौन से नेता रिटायर होंगे और क्या नए समीकरण बनेंगे। क्या विपक्ष मजबूत होगा या एनडीए की स्थिति में सुधार होगा? इस रिपोर्ट में सभी महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है।
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राज्यसभा चुनाव 2026: 73 सीटों पर होगा बड़ा बदलाव, प्रमुख नेताओं की विदाई

राज्यसभा चुनाव 2026

राज्यसभा चुनाव 2026: 73 सीटों पर होगा बड़ा बदलाव, प्रमुख नेताओं की विदाई

राज्यसभा चुनाव 2026.

2026 में राज्यसभा की लगभग 73 सीटें रिक्त होंगी। नए साल में इन सीटों पर नए सांसदों का चुनाव होगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या नए साल में राज्यसभा का राजनीतिक समीकरण बदलता है। क्या एनडीए और बीजेपी की संख्या में वृद्धि होगी या विपक्ष मजबूत होगा? इस पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत है।

वर्ष 2026 के अंत तक राज्यसभा की 73 सीटें खाली होंगी, जिन पर चुनाव होंगे। ये सीटें अप्रैल, जून और नवंबर 2026 में रिक्त होंगी। इस क्रम में बिहार से 5 और उत्तर प्रदेश से 10 सीटें खाली होने जा रही हैं।

कई प्रमुख नेताओं का कार्यकाल समाप्त

इसके अलावा, महाराष्ट्र की 7, गुजरात की 4, राजस्थान की 3, झारखंड की 2, आंध्र प्रदेश की 4, तेलंगाना की 2, पश्चिम बंगाल की 5, तमिलनाडु की 6, हरियाणा की 2, छत्तीसगढ़ की 2, ओडिशा की 4, असम की 3 और तीन पूर्वोत्तर राज्यों से 4 सीटें भी रिक्त होंगी। इस कारण कई प्रमुख नेताओं का कार्यकाल समाप्त होगा।

2026 में राज्यसभा से रिटायर होने वाले प्रमुख नेताओं के नाम:

  • मल्लिकार्जुन खरगे
  • एचडी देवगौड़ा
  • दिग्विजय सिंह
  • शरद पवार
  • शिबू सोरेन
  • हरदीप सिंह पुरी
  • बीएल वर्मा
  • रवनीत सिंह बिट्टू
  • जॉर्ज कुरियन
  • हरिवंश नारायण सिंह
  • रामनाथ ठाकुर
  • उपेन्द्र कुशवाहा
  • शक्ति सिंह गोहिल
  • नरहरी अमीन
  • रामदास आठवले
  • कनिमोझी
  • अभिषेक मनु सिंघवी
  • दिनेश शर्मा
  • रामगोपाल यादव

अप्रैल से नवंबर 2026 के बीच रिक्त सीटें

राज्यसभा की कुल 73 सीटें अप्रैल से नवंबर 2026 के बीच खाली होंगी। अप्रैल 2026 में 10 राज्यों से 37 सीटें रिक्त होंगी।

  • बिहार की 5 सीट
  • बंगाल की 5 सीट
  • तेलंगाना की 2 सीट
  • तमिलनाडु की 6 सीट
  • ओडिशा की 4 सीट
  • महाराष्ट्र की 7 सीट
  • हिमाचल की 1 सीट
  • हरियाणा की 2 सीट
  • छत्तीसगढ़ की 2 सीट
  • असम की 3 सीट

जून 2026 में 10 राज्यों से 25 सीटें रिक्त होंगी:

  • आंध्र प्रदेश की 4 सीट
  • गुजरात की 4 सीट
  • कर्नाटक की 4 सीट
  • मध्यप्रदेश की 3 सीट
  • राजस्थान की 3 सीट
  • झारखंड की 2 सीट
  • अरुणाचल प्रदेश से 1 सीट
  • मणिपुर की 1 सीट
  • मिजोरम की 1 सीट

नवंबर 2026 में 2 राज्यों से 11 सीटें रिक्त होंगी:

  • उत्तरप्रदेश की 10 सीट
  • उत्तराखंड की 1 सीट

उत्तर प्रदेश की 10 सीटें रिक्त होंगी

नवंबर 2026 में उत्तर प्रदेश की 10 सीटें रिक्त होंगी। विधानसभा में संख्या बल के आधार पर बीजेपी को 7 सीटें मिलने की संभावना है। समाजवादी पार्टी को 2 सीटें मिल सकती हैं, जबकि 1 सीट पर कड़ा मुकाबला हो सकता है। वर्तमान में बीजेपी के पास 8 सीटें हैं, 1 सपा और 1 बसपा के पास हैं।

उपेन्द्र कुशवाहा का कार्यकाल समाप्त

बिहार में अप्रैल 2026 में 5 राज्यसभा सीटें रिक्त होंगी। इनमें से 2 आरजेडी के सांसद प्रेमचंद गुप्ता और अमरेंद्र धारी सिंह रिटायर होंगे। जेडीयू के 2 सांसद हरिवंश नारायण सिंह और रामनाथ ठाकुर का कार्यकाल समाप्त होगा, साथ ही आरएलएम सांसद उपेन्द्र कुशवाहा का भी कार्यकाल खत्म होगा।

बिहार की 4 सीटें एनडीए को मिलेंगी

राजनीतिक समीकरण के अनुसार, बिहार की 4 सीटें एनडीए को मिलेंगी। जबकि 5वीं सीट पर एनडीए की दावेदारी मजबूत रहेगी। ऐसे में एनडीए के घटक दल उपेन्द्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी की पार्टियां दबाव बढ़ाने में लगी हैं। राजनीतिक आकलन के अनुसार, महाराष्ट्र में महायुति को 6 सीटें और विपक्ष को 1 सीट मिल सकती है।

कर्नाटक में 4 राज्यसभा सीटों पर चुनाव होंगे। यहां 3 सीटें कांग्रेस के खाते में और 1 सीट विपक्ष के खाते में जा सकती है। बीजेपी अपने नेता को भेजेगी या जेडीएस को समर्थन देगी, इस पर निर्णय होना बाकी है। राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत सदस्य और पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई का कार्यकाल मार्च 2026 में समाप्त होगा।

राज्यसभा में एनडीए के 129 सांसद

विपक्ष के पास 78 सांसद हैं। लेकिन आकलन के अनुसार, बीजेपी को इस बार अधिक सीटें मिल सकती हैं। जिन 73 सीटों पर चुनाव होने हैं, उनमें से 43 सीटें वर्तमान में बीजेपी के पास हैं। राजनीतिक आकलन के अनुसार, 2026 के राज्यसभा चुनाव में एनडीए को लगभग 48 सीटें मिल सकती हैं। यदि ऐसा होता है, तो राज्यसभा में एनडीए की ताकत बढ़ेगी और सरकार के लिए कानून पारित करना आसान हो जाएगा.