राजा मानसिंह का रहस्यमय खजाना: इंदिरा गांधी और पाकिस्तान का दावा

राजा मानसिंह का खजाना एक रहस्यमय कहानी है, जो न केवल भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण है, बल्कि इसमें इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के बीच का विवाद भी शामिल है। इस खजाने की खोज 1976 में शुरू हुई, जब इंदिरा गांधी को इसके बारे में पता चला। क्या वास्तव में इस खजाने में सोना था? और पाकिस्तान ने इस पर अपना दावा क्यों किया? जानें इस दिलचस्प कहानी के बारे में।
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राजा मानसिंह का रहस्यमय खजाना: इंदिरा गांधी और पाकिस्तान का दावा

भारत का सोने का खजाना

राजा मानसिंह का रहस्यमय खजाना: इंदिरा गांधी और पाकिस्तान का दावा


भारत को एक समय सोने की चिड़िया कहा जाता था, और इसके पीछे का कारण यह था कि हमारे देश में प्राचीन काल में सोने का विशाल भंडार था। पहले के राजाओं के पास अपार धन था, लेकिन विदेशी आक्रमणों के कारण ये भंडार लूट लिए गए।


राजा मानसिंह का रहस्यमय खजाना: इंदिरा गांधी और पाकिस्तान का दावा


हालांकि, आज भी भारत में कई ऐसे खजाने हैं जिनके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। इनमें से एक राजा मानसिंह का सोने का खजाना है, जिसे रातों-रात खोदकर निकाल लिया गया था। इसके बाद पाकिस्तान ने भी अपने हिस्से की मांग की थी।


राजा मानसिंह का ऐतिहासिक महत्व

अकबर के नवरत्नों में से एक थे राजा मानसिंह


राजा मानसिंह, बादशाह अकबर के नवरत्नों में से एक थे और उन्हें 'राजा मिर्जा' के नाम से भी जाना जाता था। उन्होंने अकबर को कई महत्वपूर्ण युद्धों में विजय दिलाई, विशेषकर हल्दीघाटी के युद्ध में।


राजा मानसिंह का रहस्यमय खजाना: इंदिरा गांधी और पाकिस्तान का दावा


राजा मानसिंह के पिता राजा भगवानदास ने भी अकबर के लिए कई युद्ध लड़े। इसके फलस्वरूप, राजा मानसिंह को बिहार, बंगाल और उड़ीसा की सत्ता सौंपी गई। इस दौरान उन्होंने कई रियासतों पर आक्रमण कर अपार धन अर्जित किया।


काबुल से लूटे गए खजाने

राजा मानसिंह ने काबुल से लुटा था सोना


अकबर ने राजा मानसिंह को काबुल भेजा, जहां उन्होंने लुटेरों से मुकाबला किया। इस लड़ाई में बीरबल की मृत्यु हुई, और राजा मानसिंह ने युसूफजई कबीले के सरदार को मारकर बदला लिया। कहा जाता है कि उन्होंने वहां से बहुत सारा खजाना लूटा, जिसमें हीरे, जवाहरात, सोना और चांदी शामिल थे।


राजा मानसिंह ने इस खजाने को जयगढ़ किले में छिपा दिया था। अरबी पुस्तक 'हफ्त तिलिस्मत-ए-अंमेरी' में इस खजाने का उल्लेख किया गया है, जिसमें कहा गया है कि राजा मानसिंह ने इतना धन छिपाया था कि कई रियासतें हजारों वर्षों तक जीवित रह सकती थीं।


इंदिरा गांधी और खजाने की खोज

इंदिरा गाँधी को लगी थी इस खजाने की भनक


1976 में जयगढ़ किले के खजाने की चर्चा होने लगी, और इंदिरा गांधी को इसकी जानकारी मिली। उस समय, जयपुर राजघराने की महारानी गायत्री देवी ने इंदिरा गांधी को चुनावों में हराया था, जिससे उनके बीच तनाव था।


इंदिरा गांधी ने आपातकाल के दौरान इस खजाने की खोज शुरू की, लेकिन बाद में उन्होंने कहा कि वहां कोई सोना नहीं मिला। हालांकि, कहा जाता है कि उन्होंने खजाने को अपने लिए रख लिया।


पाकिस्तान का दावा

पाकिस्तान ने माँगा था हिस्सा


जब खजाने की चर्चा बढ़ी, तो पाकिस्तान ने भी अपना हिस्सा मांगने का प्रयास किया। अगस्त 1976 में, पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो ने इंदिरा गांधी को पत्र लिखकर कहा कि उन्हें खजाने के वाजिब हिस्से का ध्यान रखना चाहिए।


राजा मानसिंह का रहस्यमय खजाना: इंदिरा गांधी और पाकिस्तान का दावा


इस पत्र के बाद, इंदिरा गांधी ने पाकिस्तान को जवाब दिया कि उनके कानूनी सलाहकारों ने कहा है कि पाकिस्तान का कोई कानूनी अधिकार नहीं है। इसके बाद यह मामला ठंडा पड़ गया और राजा मानसिंह का खजाना फिर से रहस्यमय बन गया।