राजस्थान में पुरानी पेंशन योजना के खिलाफ कर्मचारियों का प्रदर्शन
राजस्थान में ओपीएस के खिलाफ प्रदर्शन
जयपुर। राज्य सरकार द्वारा बोर्डों, निगमों, सार्वजनिक उपक्रमों, स्वायत्त संस्थाओं और विश्वविद्यालयों में पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) को समाप्त करने के आदेश के खिलाफ मंगलवार को प्रदेशभर में कर्मचारियों और अधिकारियों ने काली पट्टी बांधकर जोरदार प्रदर्शन किया। विभिन्न संस्थानों के कर्मचारियों ने अपने कार्यस्थलों पर एकजुट होकर राज्य सरकार से इस निर्णय को वापस लेने की मांग की।
विभिन्न संस्थानों का समर्थन
ओपीएस बचाओ संयुक्त मंच के आह्वान पर आयोजित इस विरोध प्रदर्शन में रोडवेज, बिजली कंपनियों, जयपुर सिटी ट्रांसपोर्ट, पर्यटन विकास निगम, वित्त निगम, भण्डार व्यवस्था निगम, जयपुर मेट्रो, राज्य कृषि विपणन बोर्ड, राजस्थान विश्वविद्यालय, राज ऋषि मत्स्य विश्वविद्यालय समेत कई संस्थानों के सेवारत और सेवानिवृत्त कार्मिकों और अधिकारियों ने भाग लिया। प्रदर्शनकारियों ने नारेबाजी करते हुए राज्य सरकार से 9 अक्टूबर 2025 को जारी उस आदेश को तुरंत वापस लेने की मांग की, जिसके तहत ओपीएस समाप्त करने की प्रक्रिया शुरू की गई थी।
कर्मचारियों के हितों की रक्षा
संयुक्त मंच के प्रतिनिधियों ने कहा कि यह निर्णय न केवल कर्मचारियों के हितों के खिलाफ है, बल्कि उन परिवारों के भविष्य के साथ अन्याय भी है जिन्होंने वर्षों तक राज्य सेवा में योगदान दिया है। उनका कहना है कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने अप्रैल 2023 में इन संस्थानों में ओपीएस लागू की थी, जिसे मौजूदा सरकार ने समाप्त कर कार्मिकों के भरोसे को तोड़ा है।
संघर्ष की चेतावनी
राजस्थान स्टेट रोडवेज एम्प्लाईज यूनियन (एटक) के महासचिव धर्मवीर चौधरी ने कहा कि यदि सरकार ने समय रहते कार्मिक विरोधी नीति नहीं बदली, तो कर्मचारी वर्ग एकजुट होकर निर्णायक आंदोलन करेगा।
आंदोलन का अगला चरण
ओपीएस बचाओ संयुक्त मंच ने सभी संगठनों और कार्मिकों को इस आंदोलन के पहले चरण में व्यापक भागीदारी के लिए धन्यवाद दिया है। मंच ने घोषणा की है कि दूसरे चरण में 18 नवम्बर 2025 को जयपुर स्थित शहीद स्मारक परिसर में प्रदेशस्तरीय विशाल धरना आयोजित किया जाएगा। इस धरने में प्रदेशभर से कार्मिकों और अधिकारियों की बड़ी संख्या में भागीदारी की संभावना है।
आंदोलन को बढ़ाने की योजना
संयुक्त मंच का कहना है कि यदि सरकार ने 9 अक्टूबर का आदेश वापस नहीं लिया, तो आंदोलन को और व्यापक किया जाएगा। मंच ने चेतावनी दी है कि राज्य सरकार के इस निर्णय से कार्मिकों का मनोबल गिरा है और इसका असर सरकारी कामकाज पर भी पड़ सकता है।
