राजस्थान में पाकिस्तानी जासूस की गिरफ्तारी से राजनीतिक हलचल

राजस्थान में राजनीतिक तूफान
राजस्थान में जासूसी के आरोप में जैसलमेर से सरकारी अधिकारी शाकिर खान की गिरफ्तारी के बाद राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। राज्य सरकार ने न केवल उसके खिलाफ दर्ज मामलों की जांच को बढ़ा दिया है, बल्कि पूर्व कैबिनेट मंत्री सालेह मोहम्मद की भूमिका की भी जांच का आदेश दिया है।
गिरफ्तारी के बाद की स्थिति
शाकिर खान को मंगलवार को जयपुर की CJM कोर्ट में पेश किया गया, जहां उसे 7 दिन की पुलिस रिमांड पर भेज दिया गया। उस पर देशद्रोह, जासूसी और 1923 के आधिकारिक रहस्य अधिनियम के तहत गंभीर आरोप लगाए गए हैं। शाकिर, जो जैसलमेर जिला रोजगार कार्यालय में सहायक प्रशासनिक अधिकारी के रूप में तैनात था, ने अपनी गिरफ्तारी के बाद कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं।
पाकिस्तानी दूतावास से संबंध
जांच में यह सामने आया है कि शाकिर खान, जो जैसलमेर के मंगालिया की ढाणी का निवासी है, पाकिस्तानी दूतावास के अधिकारियों अहसान-उर-रहीम उर्फ डेनिश और सोहेल क़मर के सीधे संपर्क में था। उसने कई बार दूतावास का दौरा किया, व्यक्तिगत बैठकें कीं और उनकी मदद से पाकिस्तानी वीजा प्राप्त किया, जिसके बाद वह पाकिस्तान सात बार गया।
मुख्य आरोप
1. पाकिस्तान उच्चायोग के अधिकारियों के साथ खुफिया जानकारी साझा करना और अन्य भारतीय नागरिकों को पाकिस्तान भेजने की साजिश में शामिल होना।
2. भारतीय सेना की गतिविधियों और धार्मिक स्थलों की वीडियो और तस्वीरें आईएसआई को भेजना; 13 आईएसआई एजेंटों के साथ सीधा संपर्क बनाए रखना।
3. सरकारी अधिकारी होते हुए बिना आधिकारिक अनुमति के पाकिस्तान सात बार यात्रा करना।
कोर्ट में वकीलों का विरोध
जब शाकिर को कोर्ट में पेश किया गया, तो वकीलों ने विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने 'पाकिस्तान मुर्दाबाद' के नारे लगाए और कहा कि कोई भी वकील जासूसी के आरोपी गद्दार का प्रतिनिधित्व नहीं करेगा।
कांग्रेस पर दबाव
चूंकि शाकिर खान पहले कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री सालेह मोहम्मद के निजी सचिव रह चुके हैं, इसलिए यह मामला कांग्रेस पार्टी पर भी असर डालने लगा है। राज्य मंत्री अविनाश गहलोत ने स्पष्ट किया कि सालेह मोहम्मद की भूमिका की पूरी जांच की जाएगी।
कांग्रेस का बचाव
राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और विपक्ष के नेता टिक्काराम जुल्ली ने बयान दिया कि यदि किसी नेता का व्यक्तिगत सहायक अपराध में शामिल है, तो नेता को सीधे जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। उन्होंने निष्पक्ष जांच की मांग की, लेकिन कहा कि सरकार को कन्हैया लाल हत्या मामले में जिस तत्परता से काम किया, वैसी ही तत्परता दिखानी चाहिए।
पूर्व आईपीएस अधिकारी का आरोप
इस मामले में पूर्व आईपीएस अधिकारी पंकज चौधरी का नाम भी सामने आया है। उन्होंने दावा किया कि 2013 में जब वह जैसलमेर के एसपी थे, तब उन्होंने सालेह मोहम्मद के खिलाफ मामला दर्ज किया था और उनके पिता, ग़ाज़ी फकीर पर एक इतिहास पत्रिका खोली थी।
आगे क्या?
अब जांच एजेंसियों के सामने सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या शाकिर खान अकेले काम कर रहा था या इसके पीछे कोई बड़ा नेटवर्क है। क्या वह जासूसी में मदद के लिए अपने राजनीतिक संबंधों का उपयोग कर रहा था? इन सवालों का जवाब आगामी 7 दिन की पूछताछ के दौरान मिलने की उम्मीद है।