राजस्थान में आंगनबाड़ी केंद्रों की दयनीय स्थिति और पोषण की कमी
राजस्थान में आंगनबाड़ी की स्थिति
जयपुर समाचार: आंगनबाड़ी को बच्चों की पहली पाठशाला माना जाता है, लेकिन राजस्थान में इसकी स्थिति बेहद खराब है। कई केंद्रों में छतें टूटी हुई हैं, पीने का पानी उपलब्ध नहीं है, और बच्चों के बैठने के लिए जगह भी नहीं है। पोषण ट्रैकर ऐप का उद्देश्य अच्छा है, लेकिन वास्तविकता कुछ और ही है। कार्यकर्ताओं पर कागजी काम का बोझ अधिक है, जबकि मानदेय कम है, ऐसे में उनका मनोबल कैसे बढ़ेगा?
आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की समस्याएं
विभाग की अनदेखी के कारण आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। जब ज़ी मीडिया ने उनसे बात की, तो उन्होंने बताया कि आंगनबाड़ी केंद्रों की स्थिति कितनी खराब है। CDPO कभी भी यह देखने नहीं आते कि उन्हें कितनी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। जहां उन्हें पूरे दिन काम करना होता है, वहां बच्चों को बैठाना भी सुरक्षित नहीं है और पोषाहार की गुणवत्ता भी खराब है। कुछ कार्यकर्ताओं को तो दीवाली के बाद से मानदेय नहीं मिला है।
किराए पर चल रहे भवन
किराए पर चल रहे 40 फीसदी भवन
प्रदेश में लगभग 40 फीसदी आंगनबाड़ी भवन किराए पर चल रहे हैं। विभाग ग्रामीण क्षेत्रों में 200 रुपये और शहरी क्षेत्रों में 750 रुपये किराया देता है। लेकिन क्या इतने कम में किराए का भवन मिलना संभव है? ऐसे में कार्यकर्ताओं को अपने मानदेय से कुछ राशि मिलाकर भवन चलाना पड़ता है। टूटे हुए भवन, टपकती छतें, गिरते प्लास्टर, ना पंखा, ना लाइट, ना पानी, ना वॉशरूम, ऐसे में बच्चों को कैसे बैठाया जा सकता है?
केंद्रों के रिनोवेशन के लिए बजट
केंद्रों के रिनोनेशन के लिए ये बजट जारी किया गया
उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी ने आंगनबाड़ी के विकास और भवन निर्माण के लिए 100 करोड़ का बजट जारी किया है। इसमें नल व्यवस्था, पानी की टंकी, बिजली फिटिंग, पंखे, एलईडी बल्ब, छत मरम्मत, चाइल्ड फ्रेंडली टॉयलेट, और बच्चों के पार्क विकसित करने के लिए बजट शामिल है। लेकिन किराए के भवनों की स्थिति पर किसी का ध्यान नहीं है।
बुनियादी शिक्षा और पोषण की आवश्यकता
इसलिए सवाल यह है कि लाखों बच्चों की बुनियादी शिक्षा, पोषण और स्वास्थ्य इन्हीं पर निर्भर हैं, तो विकास की शुरुआत यहीं से क्यों नहीं हो रही? क्या हर ब्लॉक में मॉडल आंगनबाड़ी बनाने की योजना जमीन पर उतर रही है? पोषण योजना में पारदर्शिता के लिए डिजिटल मॉनिटरिंग हो रही है, लेकिन जब पोषाहार ही खाने योग्य नहीं है, तो महिलाएं इसका क्या करें?
धात्री महिलाओं की शिकायतें
धात्री महिलाओं का कहना है कि पहले उन्हें दलिया और दाल जैसे पोषाहार दिए जाते थे, जो वे खा लेते थे, लेकिन अब 3 तरह का पाउडर दिया जा रहा है, जिसमें खराब गंध आती है। इस कारण इसे कोई नहीं खा सकता है।
