राजस्थान में अतिवृष्टि से प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्यों की तेज़ी

मुख्यमंत्री का निर्देश
राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने अधिकारियों को निर्देशित किया है कि वे अतिवृष्टि से प्रभावित क्षेत्रों में आवश्यक सेवाओं के संचालन में संवेदनशीलता और तत्परता बरतें। यह जानकारी शुक्रवार को एक आधिकारिक बयान में दी गई।
राहत और बचाव कार्य
बयान के अनुसार, मुख्यमंत्री के निर्देशों के तहत राहत और बचाव कार्य युद्ध स्तर पर चलाए जा रहे हैं। सरकार ने आम जनता की सुरक्षा के लिए कई एहतियाती कदम उठाए हैं, जिसमें दुर्घटना संभावित स्थानों पर सूचना बोर्ड लगाना और नागरिकों को सतर्क करना शामिल है।
सक्रिय नियंत्रण कक्ष
राज्य स्तरीय और जिला स्तरीय नियंत्रण कक्षों के टोल-फ्री नंबर लगातार सक्रिय हैं। बयान में कहा गया है कि मौजूदा मानसून के दौरान राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ), राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) और सिविल डिफेंस की टीमों ने अब तक 1,155 व्यक्तियों को सुरक्षित निकाला है।
हवाई सहायता
वायुसेना के हेलीकॉप्टरों की मदद से जलमग्न क्षेत्रों से लोगों को सुरक्षित आश्रय स्थलों तक पहुँचाया जा रहा है। राहत शिविरों में भोजन, स्वच्छ जल और दवाइयों की व्यवस्था की जा रही है।
फसल नुकसान का आकलन
राज्य में खरीफ 2025 में अतिवृष्टि से फसल नुकसान का आकलन करने के लिए एक अगस्त 2025 से गिरदावरी का कार्य शुरू किया गया है। दक्षिण-पश्चिम मानसून के दौरान राज्य में औसत वास्तविक वर्षा 608.65 मिलीमीटर दर्ज की गई है, जो सामान्य से 62.50 प्रतिशत अधिक है।
असामान्य वर्षा
इस अवधि में प्रदेश के 22 जिलों में वर्षा को 'असामान्य' श्रेणी में रखा गया है, जिनमें अजमेर, बूंदी, कोटा, टोंक, नागौर, सवाई माधोपुर, सीकर, धौलपुर, श्रीगंगानगर, जयपुर, जोधपुर और करौली जैसे जिले शामिल हैं।