राजस्थान पुलिस द्वारा गिरफ्तारियों की जांच शुरू, हाईकोर्ट में पेश की गई स्थिति रिपोर्ट

राजस्थान पुलिस की कार्रवाई पर हाईकोर्ट की सुनवाई
राजस्थान पुलिस ने बुधवार को दिल्ली उच्च न्यायालय को सूचित किया कि उसने उन अधिकारियों के खिलाफ जांच आरंभ कर दी है, जिन्होंने 26 सितंबर को दिल्ली से दो व्यक्तियों को उनके परिवार या स्थानीय पुलिस को बिना सूचित किए गिरफ्तार किया।
यह जानकारी न्यायमूर्ति ज्योति सिंह और न्यायमूर्ति अनीश दयाल की पीठ के समक्ष प्रस्तुत की गई। पीठ ने मंगलवार को राजस्थान पुलिस के खिलाफ कानून के उल्लंघन के संबंध में सवाल उठाए थे।
यह सुनवाई एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर हो रही थी, जिसे गिरफ्तार किए गए व्यक्तियों में से एक की मां ने दायर किया था, जिसमें यह दावा किया गया था कि दोनों नाबालिग हैं।
उच्च न्यायालय ने यह भी बताया कि गिरफ्तार किए गए दोनों व्यक्ति एक आदिवासी व्यक्ति के रिश्तेदार थे, जिसकी अप्रैल में मध्य प्रदेश पुलिस की हिरासत में संदिग्ध परिस्थितियों में मृत्यु हो गई थी।
राजस्थान पुलिस ने बुधवार को एक स्थिति रिपोर्ट में कहा कि जांच के दौरान कुछ प्रक्रियागत खामियां पाई गई हैं, जिसके चलते अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।
पीठ ने कहा, 'अजमेर की पुलिस अधीक्षक वंदिता राणा ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अदालत में जानकारी दी कि कानून का उल्लंघन करने वाले अधिकारियों के खिलाफ जांच शुरू की गई है और रिपोर्ट 8 अक्टूबर 2025 तक प्रस्तुत की जाएगी। उन्होंने अदालत को आश्वासन दिया कि मामले को संवेदनशीलता के साथ संभाला जाएगा।'
इस बीच, राजस्थान पुलिस ने अदालत को बताया कि अजमेर के सरकारी जेएलएन अस्पताल में एक मेडिकल बोर्ड का गठन किया गया है, जिसने पुष्टि की है कि गिरफ्तार किए गए व्यक्तियों की उम्र 19 वर्ष से अधिक है।
अदालत इस मामले की अगली सुनवाई 8 अक्टूबर को करेगी।
दिल्ली के जनकपुरी स्थित भारती कॉलेज के पास खिलौने बेचने वाली एक महिला ने 26 सितंबर को आरोप लगाया था कि उसके 15 वर्षीय बेटे और उसके रिश्तेदार के 17 वर्षीय बेटे को अज्ञात व्यक्तियों ने 'जबरन उठाकर' ले लिया।
महिला ने कहा कि उसके रिश्तेदार रात करीब नौ बजे जनकपुरी थाने गए, लेकिन उन्हें हरि नगर थाने से संपर्क करने के लिए कहा गया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि दोनों थानों में गुमशुदगी की शिकायत दर्ज नहीं की गई और बच्चों का कोई पता नहीं चला। इसके बाद उन्होंने उच्च न्यायालय का रुख किया।