राजस्थान उच्च न्यायालय का आदेश: पंचायत और नगर निकाय चुनाव एक साथ कराने का निर्देश

राजस्थान उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को पंचायत और नगर निकायों के चुनाव एक साथ कराने का निर्देश दिया है। अदालत ने परिसीमन प्रक्रिया को 31 दिसंबर तक पूरा करने का आदेश भी दिया है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने कई याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा कि परिसीमन प्रक्रिया को अब चुनौती नहीं दी जा सकती। इस आदेश के बाद, राज्य को 11,000 से अधिक ग्राम पंचायतों और 309 शहरी स्थानीय निकायों में चुनाव कराने होंगे। याचिकाकर्ताओं ने चुनाव स्थगन को संविधान का उल्लंघन बताया है।
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राजस्थान उच्च न्यायालय का आदेश: पंचायत और नगर निकाय चुनाव एक साथ कराने का निर्देश

उच्च न्यायालय का महत्वपूर्ण निर्णय

राजस्थान उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि पंचायत और नगर निकायों के चुनाव एक साथ आयोजित किए जाएं, और इस प्रक्रिया को 15 अप्रैल 2026 तक पूरा किया जाए।


अदालत ने यह भी निर्देश दिया है कि परिसीमन प्रक्रिया को 31 दिसंबर तक अनिवार्य रूप से पूरा किया जाए।


खंडपीठ का निर्णय

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजीव प्रकाश शर्मा और न्यायमूर्ति संजीत पुरोहित की खंडपीठ ने शुक्रवार को पंचायतों के पुनर्गठन और परिसीमन को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं को खारिज कर दिया।


पीठ ने स्पष्ट किया कि परिसीमन प्रक्रिया को अब दोबारा चुनौती नहीं दी जा सकती।


राज्य में चुनाव की तैयारी

इस आदेश के बाद, राज्य को 11,000 से अधिक ग्राम पंचायतों और 309 शहरी स्थानीय निकायों में चुनाव कराने होंगे।


पूर्व विधायक संयम लोढ़ा, गिरिराज सिंह देवंदा और 437 अन्य की याचिकाओं में यह दावा किया गया था कि चुनावों का स्थगन संविधान के अनुच्छेद 243ई और 243के तथा राजस्थान पंचायत राज अधिनियम, 1994 की धारा 17 का उल्लंघन है।


याचिकाकर्ता की दलीलें

याचिकाकर्ता के वकील पी. सी. देवंदा ने कहा, "इस स्थगन ने 6,700 से अधिक पंचायतों में लोकतांत्रिक कार्यप्रणाली को बाधित किया है।"


उन्होंने यह भी कहा कि निवर्तमान सरपंचों को प्रशासक के रूप में नियुक्त नहीं किया जा सकता।


महाधिवक्ता द्वारा चुनाव की तारीखें प्रस्तुत न कर पाने और पूर्व निर्धारित समयसीमा बोर्ड परीक्षाओं से टकराने के कारण अदालत ने नई समयसीमा निर्धारित की है।