राज और उद्धव ठाकरे का गठबंधन: BMC चुनाव में बीजेपी को मिलेगी चुनौती?

राज और उद्धव ठाकरे ने BMC चुनाव से पहले एकजुट होने का निर्णय लिया है, जिससे बीजेपी के लिए चुनौती बढ़ सकती है। महाविकास अघाड़ी की लगातार असफलताओं के बीच, दोनों ठाकरे का यह गठबंधन मराठी वोटों को एकजुट कर सकता है। क्या यह बीजेपी की स्थिति को कमजोर करेगा? जानें इस राजनीतिक घटनाक्रम के पीछे की कहानी और इसके संभावित प्रभाव।
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राज और उद्धव ठाकरे का गठबंधन: BMC चुनाव में बीजेपी को मिलेगी चुनौती?

राज और उद्धव ठाकरे का एकजुट होना

राज और उद्धव ठाकरे का गठबंधन: BMC चुनाव में बीजेपी को मिलेगी चुनौती?

राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे

महाविकास अघाड़ी (MVA) भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेतृत्व वाले महायुति के खिलाफ प्रभावी चुनौती देने में असफल रही है। विधानसभा और लोकसभा चुनावों में शिवसेना (UBT), कांग्रेस और NCP (शरद पवार गुट) का यह गठबंधन महायुति के समक्ष टिक नहीं पाया। लगातार असफलताओं के चलते इसके भविष्य पर सवाल उठने लगे हैं। इस बीच, उद्धव और राज ठाकरे ने एक मंच पर आने का निर्णय लिया है।

15 जनवरी को BMC चुनाव के लिए मतदान होगा। इससे पहले, आज यानी बुधवार को उद्धव और राज ठाकरे एक साथ आने की औपचारिक घोषणा करेंगे। शिवसेना (UBT) के सांसद संजय राउत ने बताया कि उद्धव और राज की यह घोषणा मुंबई में होगी। उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों के बीच बातचीत सुचारू रूप से चल रही है, जिससे औपचारिक घोषणा का रास्ता साफ हो गया है।


बीजेपी के लिए चुनौती का आकलन

हाल के स्थानीय निकाय चुनावों में बीजेपी ने शानदार प्रदर्शन किया था, जहां महायुति ने 288 स्थानीय निकायों में से 207 पर जीत हासिल की। फिर भी, BMC चुनाव बीजेपी के लिए आसान नहीं होगा। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि दोनों ठाकरे एकजुट होते हैं, तो मराठी वोटों का विभाजन रोका जा सकता है। ठाकरे भाई हमेशा मराठी मानुष के मुद्दे को प्राथमिकता देते हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि जब भी नया गठबंधन बनता है, उसका कुछ प्रभाव अवश्य होता है। ठाकरे परिवार का पुनः एकजुट होना उत्साह का संचार कर सकता है, खासकर जब वे मराठी और मुस्लिम वोटबैंक को आकर्षित करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।


आंकड़ों का विश्लेषण

आंकड़ों के अनुसार, नवंबर 2024 के विधानसभा चुनावों में खराब प्रदर्शन के बावजूद, उद्धव और राज मिलकर एक महत्वपूर्ण राजनीतिक ताकत बन सकते हैं। असेंबली चुनावों के वार्ड-वार ब्रेकअप से पता चलता है कि शहर के 227 BMC वार्डों में से 67 वार्डों में MNS को जीत के अंतर से अधिक वोट मिले। वहीं, विपक्षी गठबंधन महाविकास अघाड़ी (MVA) 39 वार्डों में आगे था।

विशेषज्ञों का मानना है कि MNS के साथ गठबंधन करने से शिवसेना की स्थिति मजबूत होगी, और वे उन वार्डों में भी जीत हासिल कर सकते हैं जहां सत्ताधारी गठबंधन आगे था। MNS की ताकत वर्ली, दादर, माहिम, घाटकोपर, विक्रोली और दिंडोशी-मलाड तक फैली हुई है।


ठाकरे भाइयों का अलग होना और पुनर्मिलन

उद्धव और राज दोनों ने अपनी राजनीति में मराठी मानुष को केंद्र में रखा है। यह वही मुद्दा है जिसका उपयोग बाल ठाकरे ने 1966 में शिवसेना की स्थापना के लिए किया था। 2006 में राज ने शिवसेना से अलग होकर अपनी पार्टी बनाई थी। अब, 20 साल बाद, वे फिर से एक साथ आ रहे हैं।

BJP के नेतृत्व वाली महायुति सरकार द्वारा प्राइमरी स्कूलों में हिंदी थोपने के निर्णय ने दोनों ठाकरे को एकजुट होने के लिए प्रेरित किया। इसके बाद, उन्होंने महसूस किया कि BMC को बनाए रखने और अन्य नगर निगम चुनावों में सफलता पाने के लिए उनके गठबंधन की आवश्यकता है।