रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि की गई

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने विपणन सत्र 2026-27 के लिए रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि को मंजूरी दी है। इस निर्णय का उद्देश्य किसानों को उनकी उपज का लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करना है। कुसुम और मसूर के लिए सबसे अधिक वृद्धि की गई है, जबकि अन्य फसलों के लिए भी एमएसपी में वृद्धि की गई है। यह कदम किसानों को लाभकारी मूल्य प्रदान करने और फसल विविधीकरण को प्रोत्साहित करने के लिए महत्वपूर्ण है।
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रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि की गई

रबी फसलों के लिए एमएसपी में वृद्धि

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने विपणन सत्र 2026-27 के लिए सभी अनिवार्य रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि को मंजूरी दी है। यह कदम किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है। कुसुम के लिए एमएसपी में 600 रुपये प्रति क्विंटल और मसूर के लिए 300 रुपये प्रति क्विंटल की सबसे अधिक वृद्धि की गई है।


 


रेपसीड और सरसों के लिए क्रमशः 250 रुपये प्रति क्विंटल, चना के लिए 225 रुपये प्रति क्विंटल, जौ के लिए 170 रुपये प्रति क्विंटल और गेहूं के लिए 160 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि की गई है। लागत में सभी प्रकार के खर्च शामिल हैं, जैसे कि श्रम, भूमि किराया, बीज, उर्वरक, सिंचाई शुल्क, और अन्य कृषि संबंधी खर्च।


 


विपणन सत्र 2026-27 के लिए अनिवार्य रबी फसलों के एमएसपी में यह वृद्धि केंद्रीय बजट 2018-19 की घोषणा के अनुरूप है, जिसमें कहा गया था कि एमएसपी को अखिल भारतीय भारित औसत उत्पादन लागत के कम से कम 1.5 गुना के स्तर पर तय किया जाएगा। गेहूं के लिए अपेक्षित मार्जिन 109 प्रतिशत, रेपसीड और सरसों के लिए 93 प्रतिशत, मसूर के लिए 89 प्रतिशत, चने के लिए 59 प्रतिशत, जौ के लिए 58 प्रतिशत और कुसुम के लिए 50 प्रतिशत है। यह वृद्धि किसानों को लाभकारी मूल्य प्रदान करेगी और फसल विविधीकरण को बढ़ावा देगी।