रतन टाटा की पुण्यतिथि पर टाटा ग्रुप में विवाद और आर्थिक नुकसान

रतन टाटा की पहली पुण्यतिथि पर उनके योगदान को याद किया गया, लेकिन इस अवसर पर टाटा ग्रुप में आपसी विवाद भी सामने आया है। नोएल टाटा और मेहली मिस्त्री के बीच बोर्ड सीट को लेकर मतभेद बढ़ गए हैं, जिससे टाटा ग्रुप को 7.18 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। जानें इस विवाद के पीछे की कहानी और टाटा ट्रस्ट्स के भविष्य के बारे में क्या कहा गया है।
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रतन टाटा की पुण्यतिथि और परिवार में कलह

रतन टाटा, जो टाटा ग्रुप के प्रमुख रहे, का निधन एक साल पहले हुआ था। उनकी पहली पुण्यतिथि 9 अक्टूबर 2025 को मनाई गई, जिसमें उनके व्यवसायिक योगदान को याद किया गया। इस बीच, उनके परिवार में आपसी मतभेद उभर आए हैं। नोएल टाटा और मेहली मिस्त्री के बीच टाटा संस की बोर्ड सीट को लेकर विवाद बढ़ गया है। 7 अक्टूबर को, सीनियर लीडरशिप ने गृहमंत्री अमित शाह के निवास पर 45 मिनट की बैठक की। रतन टाटा के निधन के बाद से कंपनी को 7.18 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।


टाटा ग्रुप को आर्थिक नुकसान

पिछले साल टाटा ग्रुप की 23 लिस्टेड कंपनियों का कुल मार्केट कैप 33.57 लाख करोड़ रुपये था, जो अब घटकर 26.39 लाख करोड़ रुपये रह गया है। इस प्रकार, 7.18 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। तेजस नेटवर्क्स में 50% की गिरावट आई है, जबकि ट्रेंट में 42.35% और टाटा टेक्नोलॉजीज में 32.55% की कमी देखी गई। TCS में 28.16%, टाटा एलेक्सी में 26.42%, और टाटा मोटर्स में 26.15% की गिरावट आई है।


टाटा ट्रस्ट का नेतृत्व

टाटा ट्रस्ट्स में चल रहे विवाद के बीच, रतन टाटा की जीवनी के लेखक थॉमस मैथ्यू ने कहा कि ट्रस्ट का नेतृत्व हमेशा टाटा परिवार के पास होना चाहिए। उन्होंने कहा कि मौजूदा विवाद केवल एक छोटी सी असहमति है, जो हर बदलाव के समय होती है। उनका मानना है कि इससे टाटा ग्रुप पर कोई गंभीर प्रभाव नहीं पड़ेगा। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि इस बार ये मतभेद सार्वजनिक नहीं होने चाहिए थे। टाटा ट्रस्ट्स के पास टाटा संस में लगभग 66% हिस्सेदारी है, जिससे वे 180 अरब डॉलर से अधिक के ग्रुप पर नियंत्रण रखते हैं।


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