रतन टाटा की पुण्यतिथि: टाटा समूह में चल रहे विवादों का प्रभाव

रतन टाटा की पहली पुण्यतिथि

रतन टाटा के निधन को एक साल हो गया है।
रतन टाटा की पहली पुण्यतिथि 9 अक्टूबर को मनाई जा रही है। इस अवसर पर टाटा समूह और अन्य संस्थाओं द्वारा कई कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। उनकी अनुपस्थिति का अहसास सभी को हो रहा है, खासकर टाटा ट्रस्ट्स में चल रहे विवादों के कारण, जो समूह की संचालन पर गहरा असर डाल रहे हैं। टाटा ट्रस्ट्स, जो टाटा संस में 66 प्रतिशत हिस्सेदारी रखते हैं, अपने क्षेत्र में अत्यधिक सुरक्षात्मक माने जाते हैं। 156 साल पुराना यह समूह महत्वपूर्ण निर्णयों के लिए ट्रस्ट्स की मंजूरी पर निर्भर करता है।
शेयरधारकों के बीच विवाद
पिछले दशक में टाटा समूह के बड़े शेयरधारक विवादों में उलझे रहे हैं। 2016 में पूर्व अध्यक्ष साइरस मिस्त्री को हटाने के विवाद ने बोर्ड की नियुक्तियों और प्रशासनिक मुद्दों को लेकर अंदरूनी कलह को जन्म दिया। यह विवाद अब सरकार के पाले में पहुंच चुका है, जो पहले कभी नहीं हुआ। मिस्त्री, जो रतन टाटा के करीबी सहयोगी थे, शापूरजी पलोनजी परिवार का हिस्सा हैं, जिसके पास टाटा संस में लगभग 18.37 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
75 साल की नीति
विवाद की शुरुआत तब हुई जब मिस्त्री गुट ने 77 वर्षीय पूर्व रक्षा सचिव विजय सिंह को टाटा संस के बोर्ड में पुनर्नियुक्ति के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया। टाटा ट्रस्ट्स ने 75 वर्ष की आयु पूरी करने पर वार्षिक पुनर्नियुक्ति की नीति लागू की थी। इसके बाद, सिंह ने स्वेच्छा से इस्तीफा दे दिया। मिस्त्री गुट ने नोएल टाटा और वेणु श्रीनिवासन के प्रस्तावों का भी विरोध किया।
बोर्ड में नियुक्तियों पर विवाद
मिस्त्री गुट ने टाटा संस के बोर्ड के लिए नोएल टाटा द्वारा प्रस्तावित तीन उम्मीदवारों को अस्वीकार कर दिया। वर्तमान में टाटा संस के बोर्ड में छह सदस्य हैं, जिनमें हाल ही में तीन रिक्तियां हुई हैं।
टाटा संस की लिस्टिंग पर विवाद
टाटा संस को एक हाई लेवल कोर निवेश कंपनी के रूप में लिस्ट करने का मुद्दा भी विवादास्पद रहा है। शापूरजी पलोनजी समूह अपनी हिस्सेदारी बेचने के लिए लिस्टिंग की मांग कर रहा है।
संभावित समाधान
टाटा ट्रस्ट्स और शापूरजी पलोनजी समूह के बीच समझौता होने की संभावना है। टाटा समूह की संस्थाएं एसपी समूह की हिस्सेदारी का एक हिस्सा खरीदकर आवश्यक नकदी उपलब्ध कराने में मदद कर सकती हैं।
सरकारी हस्तक्षेप
गृह मंत्री अमित शाह ने ट्रस्टियों के साथ बैठक में दोनों गुटों से ‘टाटा के तरीके’ से काम करने का आग्रह किया है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि रतन टाटा के निधन के एक साल के भीतर, समूह आंतरिक विवादों में उलझा हुआ है।