रणथंभौर की प्रसिद्ध बाघिन एरोहेड का निधन, वन्यजीव प्रेमियों में शोक

रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान की प्रमुख बाघिन एरोहेड का निधन हो गया है, जो ब्रेन ट्यूमर से पीड़ित थी। लगभग 11 वर्ष की उम्र में, उसने कई बार मातृत्व का अनुभव किया और बाघों की जनसंख्या बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हाल ही में, उसने एक मगरमच्छ का शिकार किया था, जो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। वन्यजीव प्रेमियों और अधिकारियों ने उसे श्रद्धांजलि दी है। जानें एरोहेड की विरासत और उसके योगदान के बारे में।
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रणथंभौर की प्रसिद्ध बाघिन एरोहेड का निधन, वन्यजीव प्रेमियों में शोक

एरोहेड की मृत्यु की जानकारी

रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान की एक प्रमुख बाघिन, एरोहेड, का निधन हो गया है। वन अधिकारियों ने बताया कि उसकी मृत्यु ब्रेन ट्यूमर के कारण हुई।


एरोहेड का जीवन और शिकार कौशल

लगभग 11 वर्ष की एरोहेड, मछली नामक बाघिन के परिवार से संबंधित थी। हाल ही में, उसने एक जलाशय में मगरमच्छ का शिकार किया था, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था।


श्रद्धांजलि और विरासत

वन्यजीव प्रेमियों और अधिकारियों ने एरोहेड को अंतिम संस्कार से पहले श्रद्धांजलि अर्पित की। रणथंभौर के वरिष्ठ वन्यजीव गाइड शाकिर अली ने कहा कि एरोहेड ने अपनी मां मछली की विरासत को आगे बढ़ाया।


एरोहेड का जन्म और योगदान

फील्ड डायरेक्टर अनूप के आर ने बताया कि एरोहेड का जन्म फरवरी 2014 में हुआ था। उसे उद्यान के विभिन्न जोनों में देखा गया, विशेषकर नलघाटी और राजबाग झील में।


बाघिन की मातृत्व भूमिका

एरोहेड को उसके आकर्षक रूप और बाघों की जनसंख्या बढ़ाने में योगदान के लिए सराहा गया। उसने चार बार मातृत्व का अनुभव किया और 10 शावकों को जन्म दिया, जिनमें से छह जीवित हैं।


कनकती का स्थानांतरण

यह ध्यान देने योग्य है कि एरोहेड की मृत्यु उसके शावक कनकती के उद्यान से बाहर ले जाने के कुछ ही दिन बाद हुई। रणथंभौर नेचर गाइड एसोसिएशन के सदस्यों ने एरोहेड को पुष्पांजलि अर्पित की।


एरोहेड की याद

एसोसिएशन के अध्यक्ष यादवेंद्र सिंह ने कहा कि एरोहेड को उसके उग्र स्वभाव और उद्यान की पारिस्थितिक विरासत पर गहरी छाप के लिए हमेशा याद किया जाएगा।