रण संवाद 2025: भारत की रक्षा रणनीति में नई दिशा
रण संवाद 2025 ने भारत की रक्षा रणनीति को एक नई दिशा दी है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और CDS जनरल अनिल चौहान ने शक्ति और शांति के बीच संतुलन की आवश्यकता पर जोर दिया। इस आयोजन में तीनों सेनाओं के अधिकारियों ने भाग लिया और भविष्य की चुनौतियों पर चर्चा की। जानें इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम के बारे में और कैसे यह भारत को वैश्विक शक्ति के रूप में स्थापित कर सकता है।
Aug 27, 2025, 18:22 IST
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रण संवाद 2025 का महत्व
मध्य प्रदेश के महू में आर्मी वॉर कॉलेज में आयोजित "रण संवाद 2025" ने भारत की रक्षा और रणनीतिक सोच को एक नई दिशा दी है। इस विशेष आयोजन में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान के वक्तव्यों ने न केवल भारत की शांति-निष्ठ रणनीति को दोहराया, बल्कि यह भी स्पष्ट किया कि आज की दुनिया में शक्ति और तैयारी के बिना शांति केवल एक कल्पना है।
राजनाथ सिंह का दृष्टिकोण
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने संबोधन में कार्यक्रम के शीर्षक "रण संवाद" पर गहराई से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि सतही तौर पर ‘रण’ (युद्ध) और ‘संवाद’ (वार्ता) विरोधी शब्द लगते हैं, लेकिन भारतीय परंपरा में संवाद और युद्ध कभी अलग नहीं रहे। उन्होंने महाभारत का उदाहरण देते हुए बताया कि भगवान श्रीकृष्ण ने युद्ध रोकने के लिए शांति-वार्ता का हर प्रयास किया, परंतु असफल होने पर युद्ध अपरिहार्य बन गया। इस संदर्भ में राजनाथ सिंह ने स्पष्ट किया कि भारत कभी युद्ध का पक्षधर नहीं रहा, परंतु जब भी चुनौती दी जाती है, राष्ट्र को शक्ति के साथ जवाब देना पड़ता है।
भविष्य की युद्ध रणनीतियाँ
रक्षा मंत्री ने यह भी रेखांकित किया कि आने वाले समय में युद्ध केवल हथियारों से नहीं, बल्कि प्रौद्योगिकी, खुफिया, कूटनीति और अर्थव्यवस्था से मिलकर लड़े जाएंगे। ऑपरेशन सिंदूर का उल्लेख करते हुए उन्होंने इसे तकनीक-आधारित युद्ध क्षमता का सफल उदाहरण बताया। पाकिस्तान और पीओके में मई 2025 की कार्रवाई ने भारत की तैयारी और तकनीकी दक्षता को प्रदर्शित किया।
CDS जनरल अनिल चौहान का दृष्टिकोण
दूसरी ओर, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान का वक्तव्य और भी स्पष्ट और दूरदर्शी था। उन्होंने कहा, “भारत शांति-प्रिय है, लेकिन हम अहिंसक या निष्क्रिय नहीं हो सकते। शक्ति के बिना शांति एक कल्पना है।” उन्होंने रोमन कहावत “Si vis pacem, para bellum” (यदि शांति चाहिए, तो युद्ध की तैयारी करो) का हवाला देकर बताया कि वास्तविक शांति की गारंटी केवल शक्ति और तत्परता से मिलती है। CDS ने आगाह किया कि आज का सुरक्षा परिदृश्य लगातार बदल रहा है। पारंपरिक खतरों के साथ-साथ साइबर अटैक, हाइब्रिड वॉरफेयर, ग्रे-ज़ोन चुनौतियाँ और उभरती प्रौद्योगिकियाँ युद्ध की परिभाषा बदल रही हैं। भारत जैसे राष्ट्र के लिए आत्मसंतोष की कोई गुंजाइश नहीं है।
रण संवाद 2025 की विशेषताएँ
हम आपको बता दें कि रण संवाद 2025 की खासियत यह रही कि इसमें तीनों सेनाओं (थल, जल और वायु) के अधिकारी, विशेषज्ञ और रक्षा विद्वान एक साथ आए। चर्चा का केंद्र था – डॉक्ट्रिनल बदलाव, संयुक्त संचालन की आवश्यकता और भविष्य की प्रौद्योगिकीय चुनौतियाँ। यह पहल CDS द्वारा चलाए जा रहे सुधारों से जुड़ी है, जिसमें थियेटर कमांड संरचना और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ड्रोन, अंतरिक्ष-आधारित सिस्टम जैसी आधुनिक तकनीकों को सेनाओं में शामिल करने पर जोर है।
भारत की रक्षा दृष्टि
देखा जाये तो रण संवाद 2025 का सार यही है कि भारत शांति चाहता है, लेकिन शांति की रक्षा तभी संभव है जब देश हर चुनौती का सामना करने की क्षमता रखे। राजनाथ सिंह और जनरल चौहान दोनों के वक्तव्यों ने यह स्पष्ट कर दिया कि भारत का रक्षा दृष्टिकोण आक्रामकता नहीं बल्कि “सशक्त प्रतिरक्षा और संवाद-संपन्न कूटनीति” है। आज की अनिश्चित दुनिया में यही संतुलित रणनीति भारत को वैश्विक शक्ति के रूप में स्थापित कर सकती है।