रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने विकसित भारत के लिए तीन प्रमुख लक्ष्यों पर जोर दिया
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को 'रक्षा नवाचार संवाद' में भारत के विकसित होने के लिए तीन प्रमुख लक्ष्यों पर जोर दिया। उन्होंने आत्मनिर्भरता, वैश्विक निर्यातक बनने और नई तकनीकों में प्रगति की आवश्यकता को रेखांकित किया। मंत्री ने बताया कि यदि ये लक्ष्य हासिल होते हैं, तो भारत रक्षा नवाचार में विश्व का अग्रणी बन सकता है। इसके अलावा, उन्होंने तकनीक-उन्मुख युद्ध की आवश्यकता और भविष्य की तकनीकों पर ध्यान देने की बात भी की।
Oct 7, 2025, 13:00 IST
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रक्षा नवाचार संवाद में मंत्री का संबोधन
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए तीन महत्वपूर्ण लक्ष्यों की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत को रक्षा क्षमताओं में आत्मनिर्भरता हासिल करनी होगी और वैश्विक स्तर पर एक प्रमुख निर्यातक बनना होगा। यह बयान उन्होंने नई दिल्ली में 'रक्षा नवाचार संवाद' के दौरान दिया। मंत्री ने यह भी बताया कि भारत को अत्याधुनिक तकनीकी उद्योगों में अग्रणी बनाना आवश्यक है, जिसके लिए नई विशिष्ट तकनीकों में प्रगति करनी होगी।
भारत का रक्षा नवाचार में नेतृत्व
राजनाथ सिंह ने कहा कि यदि भारत इन तीन लक्ष्यों को पूरा करने में सफल होता है, तो वह रक्षा नवाचार के क्षेत्र में विश्व का अग्रणी देश बन सकता है। उन्होंने बताया कि 2047 तक 'विकसित भारत' बनने के लक्ष्य के साथ, हमें तीन मुख्य बातों पर ध्यान केंद्रित करना होगा: पहले, महत्वपूर्ण रक्षा क्षमताओं में आत्मनिर्भरता; दूसरे, रक्षा क्षेत्र में वैश्विक निर्यातक बनना; और तीसरे, नई तकनीकों में प्रगति करना। यदि हम इन लक्ष्यों को प्राप्त कर लेते हैं, तो हम न केवल भारत को एक विकसित राष्ट्र बना सकेंगे, बल्कि रक्षा नवाचार में भी अग्रणी बनेंगे।
तकनीक-उन्मुख युद्ध की आवश्यकता
मंत्री ने 'गैर-संपर्क युद्ध' के महत्व पर भी जोर दिया और आधुनिक युद्ध की तकनीक-उन्मुख प्रकृति पर चर्चा की, जैसा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान देखा गया था। उन्होंने कहा कि देश को एआई और क्वांटम तकनीक जैसी वर्तमान अत्याधुनिक तकनीकों में महारत हासिल करनी चाहिए, साथ ही भविष्य की तकनीकों पर भी ध्यान देना चाहिए।
आर्थिक विकास की उम्मीदें
राजनाथ सिंह ने बताया कि 2021-22 में भारत का पूंजी अधिग्रहण लगभग 74,000 करोड़ रुपये था, और 2024-25 के अंत तक यह बढ़कर 1.2 लाख करोड़ रुपये होने की उम्मीद है। उन्होंने कहा, "यह बदलाव केवल आंकड़ों का नहीं, बल्कि सोच का भी है।"