रक्षा मंत्री ने भारतीय नौसेना में महिलाओं की भूमिका की सराहना की

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भारतीय नौसेना के आईएनएसवी तारिणी के ध्वज समारोह में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका की सराहना की। उन्होंने लेफ्टिनेंट कमांडर दिलना और रूपा ए को बधाई दी और उनके साहसिक कार्यों को राष्ट्रीय उपलब्धि बताया। आईएनएसवी तारिणी ने 45 हजार किलोमीटर की यात्रा पूरी की, जो एक बड़ी उपलब्धि है। मंत्री ने सशस्त्र बलों में महिलाओं के योगदान को उजागर करते हुए कहा कि आज की बेटियां हर क्षेत्र में अपनी जिम्मेदारियों को निभा रही हैं।
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रक्षा मंत्री ने भारतीय नौसेना में महिलाओं की भूमिका की सराहना की

महिलाओं की उपलब्धियों का जश्न

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को भारतीय नौसेना के नौकायन पोत (आईएनएसवी) तारिणी के ध्वज समारोह में भाग लिया, जहां उन्होंने भारतीय सशस्त्र बलों में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका की प्रशंसा की। उन्होंने लेफ्टिनेंट कमांडर दिलना और लेफ्टिनेंट कमांडर रूपा ए का स्वागत करते हुए कहा, "आप दोनों को इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर बधाई। आपकी सफलता केवल आपकी नहीं, बल्कि पूरे राष्ट्र की उपलब्धि है।"


आईएनएसवी तारिणी का सफल अभियान

आईएनएससी तारिणी आज सुबह गोवा के तट पर पहुंची, जिसने अपना अभियान पूरा किया, जो 2 अक्टूबर, 2024 को गोवा के नेवल ओशन सेलिंग नोड से शुरू हुआ था। रक्षा मंत्री ने नौसेना के अधिकारियों की बहादुरी की सराहना करते हुए कहा कि समुद्र में 45 हजार किलोमीटर की यात्रा करना एक बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने कहा, "लगभग 25 हजार समुद्री मील, यानी 8 महीनों में 45 हजार किलोमीटर की यात्रा करना, यह अपने आप में एक साहसिक कार्य है।"


महिलाओं का योगदान

सिंह ने कहा, "आपने जो अकेलापन अनुभव किया होगा, उसे शब्दों में नहीं कह सकते। जहां लोग एक-दूसरे के साथ रहते हैं और फिर भी अकेलापन महसूस करते हैं, वहीं आप लोग एकाकी समुद्र का सामना कर रहे हैं।" उन्होंने सशस्त्र बलों में महिलाओं के योगदान को उजागर करते हुए कहा कि आज की बेटियां सियाचिन की ऊंचाइयों से लेकर समुद्र की गहराइयों तक अपनी जिम्मेदारियों को निभा रही हैं। उन्होंने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) से उत्तीर्ण महिलाओं के पहले बैच का भी उल्लेख किया, जिसमें इस महीने 17 लड़कियां शामिल थीं।


महिला सैनिकों की भूमिका

मंत्री ने कहा कि भारतीय सशस्त्र बलों में महिलाओं की सक्रिय भागीदारी रही है। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान महिला पायलटों और अन्य महिला सैनिकों ने पाकिस्तान और पीओके में आतंकवाद के खिलाफ महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।