रंजन गोगोई का 71वां जन्मदिन: सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश की जीवन यात्रा
रंजन गोगोई, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश, आज 71 वर्ष के हो गए हैं। उनके जन्मदिन के अवसर पर, हम उनके जीवन और करियर की महत्वपूर्ण घटनाओं पर नजर डालते हैं। असम के एक राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखने वाले गोगोई ने कई ऐतिहासिक फैसले किए, जिनमें राफेल डील और अयोध्या विवाद शामिल हैं। जानें उनके प्रारंभिक जीवन, न्यायाधीश के रूप में करियर और राज्यसभा में नामांकन के बारे में।
| Nov 18, 2025, 10:48 IST
रंजन गोगोई का जन्मदिन
आज, 18 नवंबर को, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई अपना 71वां जन्मदिन मना रहे हैं। गोगोई एक राजनीतिक परिवार से संबंध रखते हैं, जहां उनके पिता असम के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। वह सुप्रीम कोर्ट के सबसे प्रभावशाली चीफ जस्टिस में से एक माने जाते हैं। उनके कार्यकाल में राफेल डील, सबरीमाला मंदिर, चीफ जस्टिस के ऑफिस को आरटीआई के दायरे में लाने और अयोध्या मामले से जुड़े ऐतिहासिक निर्णय शामिल हैं। आइए, उनके जन्मदिन के अवसर पर उनके जीवन से जुड़ी कुछ दिलचस्प जानकारियों पर नजर डालते हैं...
परिवार और प्रारंभिक जीवन
रंजन गोगोई का जन्म 18 नवंबर 1954 को असम के डिब्रूगढ़ में हुआ। उनके पिता का नाम केशव गोगोई और मां का नाम शांति देवी है। गोगोई ने दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से इतिहास की पढ़ाई की। उनके पिता एक समाजसेवी थे, जिन्होंने बाद में राजनीति में कदम रखा।
न्यायाधीश के रूप में करियर
1978 में बार काउंसिल में शामिल होने के बाद, जस्टिस रंजन गोगोई ने गुवाहाटी हाईकोर्ट में वकालत शुरू की। 28 फरवरी 2001 को उन्हें गुवाहाटी हाईकोर्ट के स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया। इसके बाद, 2010 में उनका ट्रांसफर पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में हुआ। 23 अप्रैल 2013 को, उन्हें सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया।
मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्यकाल
3 अक्टूबर 2018 को, रंजन गोगोई को भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया। नवंबर 2019 में, उन्होंने इस पद से रिटायरमेंट लिया। उनके कार्यकाल में राम मंदिर और बाबरी मस्जिद विवाद का समाधान हुआ।
रिटायरमेंट और राज्यसभा में नामांकन
2019 में रिटायर होने के बाद, गोगोई ने राफेल सौदे पर महत्वपूर्ण निर्णय लिए। 2020 में, उन्हें राज्यसभा के लिए नामित किया गया, जिससे वह राज्यसभा में सेवा देने वाले सुप्रीम कोर्ट के तीसरे न्यायाधीश बन गए।
