योगी सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ उठाया बड़ा कदम, 22 नई अदालतें स्थापित

योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए 22 नई विशेष अदालतों की स्थापना की है। यह कदम स्थानीय स्तर पर न्याय प्रक्रिया को सुलभ बनाएगा और समय एवं संसाधनों की बचत करेगा। नई अदालतों के खुलने से सुनवाई में तेजी आएगी और भ्रष्टाचार के मामलों में प्रभावी नियंत्रण संभव होगा। जानें किन जिलों में ये अदालतें स्थापित की जाएंगी और इससे न्याय प्रक्रिया में क्या बदलाव आएंगे।
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योगी सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ उठाया बड़ा कदम, 22 नई अदालतें स्थापित

भ्रष्टाचार निवारण के लिए नई अदालतों की स्थापना

योगी सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ उठाया बड़ा कदम, 22 नई अदालतें स्थापित


लखनऊ समाचार: उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार पर नियंत्रण के लिए योगी सरकार ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। राज्य के 18 जिलों में 22 नई विशेष भ्रष्टाचार निवारण अदालतों की स्थापना की जा रही है। इस संबंध में प्रमुख सचिव संजय प्रसाद ने 16 अक्टूबर 2025 को संबंधित विभागों को निर्देश जारी किए हैं। नई व्यवस्था के तहत, भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों की सुनवाई अब स्थानीय स्तर पर होगी, जिससे समय और संसाधनों की बचत होगी। पहले कई मामलों के लिए आरोपियों को मेरठ, लखनऊ या अन्य दूरस्थ जिलों में भेजा जाता था।


नई अदालतों के स्थान

इन 22 अदालतों में से कुछ प्रमुख जिले और उनके अधीन आने वाले जिले निम्नलिखित हैं:-


मेरठ (2 अदालतें): अदालत 1: मेरठ, बागपत, हापुड़; अदालत 2: गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, बुलंदशहर; सहारनपुर: सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, शामली; बरेली: बरेली, बदायूं, पीलीभीत, शाहजहांपुर; मुरादाबाद: मुरादाबाद, बिजनौर, रामपुर, अमरोहा, संभल; आगरा: आगरा, मथुरा, मैनपुरी, फिरोजाबाद। इसके अलावा अलीगढ़, कानपुर, झांसी, लखनऊ (2 अदालतें), अयोध्या, प्रयागराज, बांदा, वाराणसी (2 अदालतें), मिर्जापुर, आजमगढ़, गोरखपुर (2 अदालतें), बस्ती और गोंडा में भी विशेष न्यायालय स्थापित किए जा रहे हैं।


भ्रष्टाचार मामलों में बदलाव

पहले, भ्रष्टाचार से संबंधित अधिकांश मामलों में सीमित अदालतें होने के कारण आरोपियों को लंबी दूरी तय कर कोर्ट में पेश किया जाता था। इससे न्याय प्रक्रिया में देरी होती थी और सरकारी संसाधनों की खपत बढ़ती थी।


नई अदालतों के खुलने से: सुनवाई में तेजी आएगी, स्थानीय स्तर पर न्याय प्रक्रिया सुलभ होगी, पुलिस और अभियोजन विभाग की कार्यवाही में सुविधा होगी, और भ्रष्टाचार के मामलों में प्रभावी नियंत्रण संभव होगा।


जिम्मेदार अधिकारी

इन विशेष न्यायालयों की जिम्मेदारी एडीजे / विशेष न्यायाधीशों को सौंपी गई है, जो भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के अंतर्गत नेताओं, राजपत्रित अधिकारियों, पुलिस कर्मियों समेत अन्य सरकारी कर्मचारियों के मामलों की सुनवाई करेंगे।


प्रेषित आदेश की प्रतिलिपि निम्नलिखित विभागों को भेजी गई है: इलाहाबाद हाईकोर्ट के महानिबंधक, उत्तर प्रदेश के महालेखाकार, प्रमुख सचिव, न्याय और विधि परामर्श, डीजीपी, यूपी, एडीजी एंटी करप्शन, पुलिस कमिश्नर व एसएसपी, अभियोजन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी, गृह (गोपन) अनुभाग।