योगी आदित्यनाथ का भाषण: राजनीतिक इस्लाम और धार्मिक आस्था का विमर्श

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर में 'दीपोत्सव से राष्ट्रोत्सव' कार्यक्रम में अपने भाषण में राजनीतिक इस्लाम और धार्मिक आस्था पर महत्वपूर्ण बातें कहीं। उन्होंने अखिलेश यादव पर तीखा हमला करते हुए उन्हें 'राम द्रोही' और 'कृष्ण द्रोही' कहा। योगी का यह वक्तव्य केवल धार्मिक आस्था की अभिव्यक्ति नहीं, बल्कि भारत के वर्तमान वैचारिक संघर्ष का राजनीतिक बयान भी है। उनका कहना है कि 'राजनीतिक इस्लाम' ने सनातन धर्म पर सबसे बड़ा प्रहार किया है। इस भाषण ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक नई दिशा दी है, जो आगामी चुनावों में महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।
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योगी आदित्यनाथ का भाषण: राजनीतिक इस्लाम और धार्मिक आस्था का विमर्श

मुख्यमंत्री का बयान और राजनीतिक विमर्श

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में गोरखपुर में आयोजित 'दीपोत्सव से राष्ट्रोत्सव' कार्यक्रम में अपने भाषण के माध्यम से राजनीतिक चर्चा का नया मोड़ दिया। उन्होंने कहा कि जबकि ब्रिटिश और फ्रांसीसी उपनिवेशवाद पर चर्चा होती है, 'राजनीतिक इस्लाम' द्वारा सनातन धर्म पर किए गए हमलों की बात नहीं की जाती। योगी ने छत्रपति शिवाजी, गुरु गोविंद सिंह और महाराणा प्रताप जैसे महान योद्धाओं को 'राजनीतिक इस्लाम' के खिलाफ संघर्ष का प्रतीक बताया। इस अवसर पर उन्होंने संघ की 100 वर्ष की यात्रा की सराहना की और कहा कि संघ ने कई चुनौतियों का सामना करते हुए राम मंदिर के निर्माण को संभव बनाया।


अखिलेश यादव पर तीखा हमला

योगी ने समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव पर भी कड़ा प्रहार किया, यह कहते हुए कि वे न केवल राम द्रोही हैं, बल्कि कृष्ण द्रोही भी हैं। यह टिप्पणी तब आई जब अखिलेश ने दीपोत्सव समारोह पर सरकारी खर्च को लेकर सवाल उठाए थे। योगी ने पलटवार करते हुए कहा कि जो लोग दीपावली से नफरत करते हैं, वे सनातन संस्कृति से भी विमुख हैं। उन्होंने व्यंग्य करते हुए कहा, 'गद्दी मिल सकती है, पर बुद्धि नहीं।'


धार्मिक आस्था और राजनीतिक बयान

मुख्यमंत्री का यह वक्तव्य केवल धार्मिक आस्था की अभिव्यक्ति नहीं, बल्कि भारत के वर्तमान वैचारिक संघर्ष का राजनीतिक बयान भी है। 'राजनीतिक इस्लाम' शब्द का उपयोग उन्होंने जिस संदर्भ में किया है, वह इतिहास के धार्मिक-सांस्कृतिक संघर्षों को वर्तमान राजनीति में लाता है। योगी का कहना है कि 'राजनीतिक इस्लाम ने सनातन धर्म पर सबसे बड़ा प्रहार किया', यह एक वैचारिक रेखा खींचता है, जिसमें इसे विदेशी उपनिवेशवाद से भी बड़ा खतरा बताया गया है।


हलाल उत्पादों और धर्मांतरण का मुद्दा

योगी का यह कहना कि 'हलाल उत्पादों की बिक्री से धर्मांतरण और आतंकवाद को मदद मिलती है' एक गंभीर आरोप है। इसके साथ ही, अखिलेश यादव पर 'राम द्रोही' और 'कृष्ण द्रोही' होने का आरोप केवल शब्दों की तलवार नहीं, बल्कि एक राजनीतिक रणनीति है। योगी समझते हैं कि उत्तर प्रदेश में धर्म, आस्था और प्रतीकों की राजनीति सबसे प्रभावशाली हथियार है। दीपावली, राम मंदिर और कृष्ण जन्मभूमि जैसे सांस्कृतिक बिंदुओं के इर्द-गिर्द उन्होंने विपक्ष को रक्षात्मक स्थिति में ला खड़ा किया है।


2027 के चुनावों की तैयारी

अपने संबोधन में योगी आदित्यनाथ ने स्पष्ट किया कि 2027 के विधानसभा चुनावों की राह केवल विकास या प्रशासन की नहीं, बल्कि वैचारिक टकराव की होगी। 'राजनीतिक इस्लाम' और 'राम द्रोही' जैसे शब्द उत्तर प्रदेश की आने वाली राजनीतिक भाषा को आकार दे रहे हैं। यह भाषा तीखी, भावनात्मक और विभाजनकारी होने का जोखिम भी रखती है। लेकिन यह भी सच है कि योगी का संदेश उन मतदाताओं तक सीधे पहुंचता है जो धर्म और राष्ट्र के बीच कोई विभाजन नहीं देखते। उत्तर प्रदेश की राजनीति अब एक बार फिर 'दीये की रोशनी' और 'अंधकार के प्रतीक' के बीच खड़ी है, फर्क सिर्फ इतना है कि यह दीप अब केवल मिट्टी का नहीं, बल्कि विचार का बन चुका है।