यूपीआई लेनदेन के लिए नए चार्जबैक नियम 15 जुलाई से लागू

यूपीआई में चार्जबैक नियमों में बदलाव
भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) 15 जुलाई से यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) लेनदेन के लिए नए चार्जबैक नियम लागू करने जा रहा है। इन परिवर्तनों का मुख्य उद्देश्य प्रक्रिया को सरल बनाना और विवादों के समाधान में देरी को कम करना है।
चार्जबैक प्रक्रिया में क्या परिवर्तन हो रहे हैं?
नए नियमों के तहत, यदि कोई चार्जबैक अनुरोध अस्वीकृत होता है, तो बैंक को अब एनपीसीआई से संपर्क करने की आवश्यकता नहीं होगी। पहले, बैंक को UPI रेफरेंस कंप्लेंट सिस्टम (URCS) के माध्यम से मामले को वाइट लिस्ट में डालने के लिए एनपीसीआई से संपर्क करना पड़ता था। लेकिन 15 जुलाई से, बैंक सीधे चार्जबैक को पुनः प्रसंस्करण के लिए योग्य के रूप में चिह्नित कर सकेंगे।
चार्जबैक क्या है?
UPI में चार्जबैक एक औपचारिक विवाद है, जो तब उठाया जाता है जब कोई लेनदेन विफल हो जाता है या जब खरीदी गई सेवा या उत्पाद नहीं मिलते। यह उपयोगकर्ताओं को अपने बैंक या भुगतान सेवा प्रदाता से पैसे वापस मांगने की अनुमति देता है। बैंक और भुगतान ऐप इन शिकायतों को UPI संदर्भ शिकायत प्रणाली (URCS) के माध्यम से हल करते हैं, जो विवादों को प्रबंधित करने के लिए एक मानकीकृत प्लेटफॉर्म है।
इस बदलाव का महत्व
यह कदम UPI विवाद समाधान की प्रक्रिया को तेज करने की उम्मीद करता है। इससे बैंकों को वैध मामलों को स्वतंत्र रूप से संभालने का अधिक अधिकार मिलेगा। यदि चार्जबैक गलत तरीके से अस्वीकृत होता है, तो उपयोगकर्ताओं को त्वरित रिफंड या समाधान मिल सकता है। यह अपडेट एनपीसीआई के 20 जून, 2025 के सर्कुलर के बाद आया है और यह भारत में डिजिटल भुगतान की विश्वसनीयता और दक्षता को बढ़ाने के व्यापक प्रयासों का हिस्सा है।