यूक्रेन ने रूसी गैस आपूर्ति रोकी, यूरोप में नया तनाव

यूक्रेन ने यूरोप को रूसी गैस की आपूर्ति रोकने का निर्णय लिया है, जिससे रूस को आर्थिक नुकसान होगा और यूरोप में तनाव बढ़ सकता है। राष्ट्रपति जेलेंस्की ने कहा है कि वे रूस को अपने खून से कमाई करने की अनुमति नहीं देंगे। स्लोवाकिया ने इस कदम का विरोध करते हुए बिजली की आपूर्ति रोकने की धमकी दी है। इस स्थिति से यूक्रेन को भी आर्थिक नुकसान होगा, क्योंकि वह ट्रांजिट शुल्क के रूप में हर साल 800 मिलियन डॉलर कमाता था। जानें इस संकट के पीछे के कारण और इसके संभावित प्रभाव।
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यूक्रेन ने रूसी गैस आपूर्ति रोकी, यूरोप में नया तनाव

रूसी गैस की आपूर्ति में रुकावट


यूक्रेन और रूस के बीच एक नया संघर्ष शुरू हो गया है, जिसमें यूक्रेन ने यूरोप को रूसी गैस की आपूर्ति रोकने का निर्णय लिया है। इस कदम से रूस को आर्थिक नुकसान होने की संभावना है।


यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने स्पष्ट किया है कि उनका देश अब रूस को अपने खून से कमाई करने की अनुमति नहीं देगा। गैस निर्यात में रुकावट की पुष्टि रूस की गैस कंपनी गैजप्रोम ने भी की है। इस निर्णय के बाद कई यूरोपीय देश यूक्रेन से नाराज हो गए हैं, और स्लोवाकिया ने बिजली की आपूर्ति रोकने की चेतावनी दी है।


जेलेंस्की ने यह कदम अचानक नहीं उठाया, बल्कि उन्होंने लगभग एक वर्ष पहले यूरोपीय देशों को सूचित किया था कि वह इस सर्दी से पहले गैस की आपूर्ति बंद कर देंगे। कई यूरोपीय देश पहले से ही सीमित मात्रा में रूसी गैस लेना शुरू कर चुके थे, लेकिन अब उन्हें नए विकल्पों की तलाश करनी होगी। रूस पिछले 33 वर्षों से यूरोप को गैस की आपूर्ति कर रहा था।


स्लोवाकिया ने इस निर्णय का कड़ा विरोध किया है, क्योंकि यह देश ऑस्ट्रिया, हंगरी और इटली तक गैस पहुंचाने का मुख्य मार्ग है। इस मार्ग से स्लोवाकिया को ट्रांजिट शुल्क के रूप में अच्छी खासी आय होती थी, जो अब समाप्त हो जाएगी।


यूक्रेन के इस निर्णय के बाद रूस ने एक महत्वपूर्ण बाजार खो दिया है। अमेरिका और पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए आर्थिक प्रतिबंधों के कारण रूस को पहले से ही नुकसान उठाना पड़ा है। अब, गैस आपूर्ति में रुकावट से रूस को हर साल लगभग 5.2 अरब डॉलर का नुकसान होगा।


यदि इस सर्दी में रूसी गैस यूरोप तक नहीं पहुंचती है, तो यूरोपीय संघ ने कतर और अमेरिका से लिक्विफाइड नैचुरल गैस (एलएनजी) खरीदने का विकल्प खोज लिया है। नॉर्वे भी गैस की आपूर्ति करेगा, जबकि रूस अपनी बची हुई गैस चीन को बेचेगा।


इस स्थिति से यूक्रेन को भी आर्थिक नुकसान होगा, क्योंकि वह ट्रांजिट शुल्क के रूप में हर साल 800 मिलियन डॉलर कमाता था। गैस आपूर्ति में बदलाव से लिक्विफाइड नैचुरल गैस के दामों में भी वृद्धि हो सकती है।