यूक्रेन के ड्रोन हमलों से भारत की सुरक्षा पर खतरे की घंटी

यूक्रेन के ड्रोन हमले का प्रभाव
नई दिल्ली: यूक्रेन द्वारा रूस पर किए गए ड्रोन हमले ने सभी को चौंका दिया है। ये हमले गहराई में जाकर किए गए, जिसमें यूक्रेन ने कुछ महत्वपूर्ण बमवर्षक विमानों को भी नष्ट किया। यूक्रेन ने उन हवाई अड्डों को भी निशाना बनाया जो युद्ध क्षेत्र से लगभग 5,000 किलोमीटर दूर स्थित थे।
भारत के लिए चेतावनी
इन हमलों में कम लागत वाले ड्रोन का उपयोग किया गया, जिन्हें चुपचाप रूस में भेजा गया। यह भारत के लिए एक स्पष्ट संकेत है कि उसे अपनी सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करना होगा। यूक्रेन के हमलों ने यह साबित कर दिया है कि दुश्मन दूर से भी हमला कर सकते हैं, जिससे भारत को अपनी सीमाओं और आंतरिक क्षेत्रों में ड्रोन सुरक्षा को बढ़ाने की आवश्यकता है।
ड्रोन सुरक्षा में निवेश की आवश्यकता
ये हमले फर्स्ट पर्सन व्यू (FPV) ड्रोन से किए गए थे, जिन्हें ट्रकों पर रखे कंटेनरों से लॉन्च किया गया। भारत को इस प्रकार के हमलों से बचने के लिए काउंटर ड्रोन सिस्टम में और निवेश करना चाहिए। भारतीय सेना ने बॉर्डर पर काउंटर ड्रोन सिस्टम को मजबूत करने में काफी धन खर्च किया है।
काउंटर ड्रोन सिस्टम की मजबूती
भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तानी ड्रोन को सफलतापूर्वक नष्ट किया, जिससे यह स्पष्ट होता है कि ये सिस्टम कितने प्रभावी हैं। हालांकि, देश के अंदर गहराई में स्थित ठिकानों के लिए अभी तक कोई प्रभावी ड्रोन सुरक्षा प्रणाली नहीं है।
लेजर ड्रोन किलिंग सिस्टम पर ध्यान
भारतीय सेना धीरे-धीरे DRDO द्वारा विकसित लेजर-आधारित ड्रोन किलिंग सिस्टम को शामिल कर रही है। ये सिस्टम कुछ ही ड्रोन को नष्ट कर सकते हैं और उनकी दूरी भी सीमित है।
हार्ड किल ड्रोन सिस्टम का विकास
सेना हार्ड किल ड्रोन सिस्टम बनाने पर भी ध्यान केंद्रित कर रही है, जो विशेष स्थानों को निशाना बनाने वाले ड्रोन झुंडों को नष्ट करने में सक्षम होंगे।
माइक्रो मिसाइल सिस्टम का परीक्षण
भारतीय सेना एक मोबाइल 'माइक्रो मिसाइल' सिस्टम का परीक्षण कर रही है, जिसे ड्रोन झुंडों को नष्ट करने के लिए विकसित किया जा रहा है।