यमराज की कहानी: मृत्यु के देवता और अमृत का संवाद
इस लेख में यमराज और अमृत की कहानी का वर्णन किया गया है, जिसमें मृत्यु के देवता के संदेश और अमृत की अद्भुत यात्रा को दर्शाया गया है। जानें कैसे यमराज ने अमृत को चार संकेत भेजे, लेकिन अमृत ने उन्हें समझने में चूक की। यह कहानी जीवन, मृत्यु और कर्म के गहरे अर्थों को उजागर करती है।
Jul 24, 2025, 10:34 IST
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यमराज: मृत्यु के देवता

यम है हम – मौत के देवता
- कुछ नियम ऐसे होते हैं, जिन्हें सभी को मानना पड़ता है, चाहे वह कोई विशेष व्यक्ति हो या आम इंसान। सृष्टि के नियमों के अनुसार, न केवल मनुष्य, बल्कि देवताओं को भी इनका पालन करना होता है। यही कारण है कि भगवान राम और भगवान कृष्ण को भी जन्म लेकर मृत्यु का सामना करना पड़ता है। हर व्यक्ति को अपनी एकमात्र जिंदगी में अनेक सपने और इच्छाएं पूरी करनी होती हैं। जीवन इसी भागदौड़ में बीतता है, और हम यह भूल जाते हैं कि एक दिन मृत्यु हमारे दरवाजे पर दस्तक देगी।
- मृत्यु के देवता, यमराज को दक्षिण के लोकपाल के रूप में जाना जाता है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, यम पहले प्राणी थे, जिनकी मृत्यु हुई थी। इसी कारण भगवान शिव ने उन्हें मृतकों के शासक के रूप में नियुक्त किया।
- मृत्यु के समय, यमदूत आत्मा को स्वर्ग या नरक के द्वार पर ले जाते हैं, जहां यमराज इंसान के कर्मों के आधार पर दंड का निर्णय लेते हैं।
- यमलोक में, यमराज अच्छे और बुरे कर्मों के आधार पर स्वर्ग और नरक का फैसला करते हैं। प्राचीन ग्रंथों में कहा गया है कि यमराज ने अपने भक्त अमृत से वादा किया था कि वे हर किसी की मृत्यु से पहले सूचना देंगे, ताकि लोग अपने अधूरे कार्य पूरे कर सकें।
यमराज और अमृत की कहानी
- एक समय, यमुना के किनारे अमृत नाम का एक व्यक्ति रहता था, जो यमराज की पूजा करता था क्योंकि उसे अपनी मृत्यु का डर सताता था। वह यमराज से मित्रता करना चाहता था।
- यमराज अमृत की तपस्या से प्रभावित हुए और जब प्रकट हुए, तो अमृत ने अमरता का वरदान मांगा। यमराज ने समझाया कि जो जन्म लेता है, उसे एक दिन मरना भी है। अमृत ने कहा कि अगर मृत्यु को टाला नहीं जा सकता, तो कम से कम मुझे इसकी सूचना दी जाए ताकि मैं अपने परिवार के लिए प्रबंध कर सकूं।
- यमराज ने अमृत को मृत्यु की पूर्व सूचना देने का वादा किया, लेकिन अमृत को यह भी वादा करना पड़ा कि वह जैसे ही मृत्यु का संकेत पाएगा, वह विदाई की तैयारी करेगा। इसके बाद यमराज अदृश्य हो गए। समय बीतने के साथ, अमृत ने यमराज के वादे को भूलकर विलासिता में जीवन बिताना शुरू कर दिया।
- पहला संकेत- बालों का सफेद होना।
- दूसरा संकेत- दांत गिरना।
- तीसरा संकेत- ज्ञानेन्द्रियों का कमजोर होना।
- चौथा संकेत- कमर झुक जाना।
- एक दिन, जब अमृत ने यमदूतों को देखा, तो वह हैरान रह गया। उसने यमराज पर धोखा देने का आरोप लगाया।
- अमृत ने कहा, 'आपने मुझे धोखा दिया, आपने वादा नहीं निभाया।' यमराज ने उत्तर दिया कि उन्होंने चार संकेत भेजे थे, लेकिन अमृत की लिप्सा ने उसे अंधा बना दिया। यमराज ने कहा कि शारीरिक परिवर्तन ही उनके संदेश थे, लेकिन अमृत ने उन्हें समझने में असफल रहा।