यमन में भारतीय नर्स निमिषा प्रिया की फांसी पर सरकार की स्थिति

सरकार की प्रतिक्रिया
भारत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया है कि यमन में केरल की नर्स निमिषा प्रिया की फांसी को रोकने के लिए उसके पास कोई विशेष उपाय नहीं हैं। लाइव लॉ के अनुसार, सरकार के वकील एजी वेंकटरमणी ने कहा कि यमन की संवेदनशीलता को देखते हुए सरकार कुछ नहीं कर सकती। हालांकि, उन्होंने यह भी बताया कि निजी माध्यमों से निमिषा को बचाने की कोशिशें जारी हैं, लेकिन सरकार की सीमाएं हैं। वकील ने कहा कि हम उस सीमा तक पहुँच चुके हैं जहाँ तक भारत सरकार जा सकती है। यमन की स्थिति अन्य देशों से भिन्न है, और हम सार्वजनिक रूप से बात करके इसे और जटिल नहीं करना चाहते।
निमिषा प्रिया का मामला
यमन की अदालत के दस्तावेजों के अनुसार, निमिषा प्रिया ने जुलाई 2017 में अपने स्थानीय व्यापारिक साझेदार तलाल अब्दो मेहदी की हत्या की, जिसमें उसने उसे नशीला पदार्थ देकर मार डाला और एक अन्य नर्स की मदद से उसके शरीर को टुकड़ों में काट दिया। उसके बाद, उसने शव के अंगों को एक भूमिगत टैंक में फेंक दिया। जब मेहदी की हत्या का पता चला, तो निमिषा को गिरफ्तार कर लिया गया और उसने कथित तौर पर अपने बयान में हत्या की बात स्वीकार की। सना की अधीनस्थ अदालत ने उसे मौत की सजा सुनाई, जिसे उसने यमन की सर्वोच्च अदालत में चुनौती दी, लेकिन उसकी अपील खारिज कर दी गई।
विदेश मंत्रालय की भूमिका
विदेश मंत्रालय ने कहा है कि वह इस मामले की प्रगति पर ध्यान दे रहा है और हर संभव सहायता प्रदान करने का प्रयास कर रहा है। इस बीच, भारत का उच्चतम न्यायालय सोमवार को उस याचिका पर सुनवाई करेगा जिसमें केंद्र से भारतीय नर्स को बचाने के लिए राजनयिक प्रयासों का उपयोग करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ इस मामले की सुनवाई कर सकती है। सूत्रों के अनुसार, निमिषा प्रिया 2008 से यमन में नर्स के रूप में कार्यरत हैं। उन्होंने 2011 में शादी के बाद अपने पति टॉमी थॉमस के साथ यमन में कदम रखा। 2014 में यमन में गृहयुद्ध के कारण उनके पति और बेटी केरल लौट आए, जबकि निमिषा वहीं रहीं।