मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन ने नए साल के जश्न पर मुसलमानों को दी चेतावनी

बरेली के मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी ने मुसलमानों को नए साल का जश्न न मनाने की सलाह दी है, इसे फिजूलखर्ची और इस्लाम के खिलाफ बताया है। उन्होंने कहा कि इस्लामी कैलेंडर के अनुसार नया साल मोहर्रम से शुरू होता है। मौलाना ने युवाओं से अपील की है कि वे इस परंपरा से दूर रहें। जानें उनके विचार और इस पर विवाद की पूरी कहानी।
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बरेली में नए साल के जश्न पर विवाद

बरेली


भारत और अन्य देशों में नए साल का जश्न मनाने की तैयारियां जोरों पर हैं। इस बीच, ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने मुसलमानों को नए साल का जश्न न मनाने की सलाह दी है। उनका कहना है कि यह एक फिजूलखर्ची है और इस्लाम में इसकी अनुमति नहीं है। मौलाना का यह बयान सोशल मीडिया पर तेजी से फैल रहा है।


मौलाना ने कहा कि कुछ लोग नए साल के जश्न को लेकर सवाल उठा रहे हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि शरीयत-ए-इस्लामिया के अनुसार नए साल का जश्न मनाना उचित नहीं है। उन्होंने बताया कि इस्लामी कैलेंडर के अनुसार नया साल मोहर्रम से शुरू होता है, जबकि हिंदू कैलेंडर में यह चैत्र मास से आरंभ होता है। 1 जनवरी का जश्न यूरोपीय संस्कृति से संबंधित है और इसे ईसाई समुदाय द्वारा मनाया जाता है।


नौजवानों के लिए सलाह


मौलाना ने आगे कहा, 'जश्न का मतलब क्या है? 31 दिसंबर की रात को फूहड़ता, शोर-शराबा, नाच-गाना और फिजूलखर्ची करना होता है। शरीयत इसकी अनुमति नहीं देती। इसलिए मैं मुस्लिम युवाओं से अनुरोध करता हूं कि वे जश्न न मनाएं। यदि कहीं से खबर मिली कि कुछ युवा जश्न मना रहे हैं, तो उलमा-ए-किराम सख्ती से रोकेंगे।'


इस्लाम की बुनियादी शिक्षाएं


इससे पहले, बरेलवी ने संतकबीरनगर में एक धार्मिक सम्मेलन में कहा था कि इस्लाम अपने सिद्धांतों पर अडिग है और हमारे समाज के लोग केवल एक खुदा की इबादत करते हैं। मौलाना शहाबुद्दीन ने कहा कि कुछ संगठन और नेता सूर्य नमस्कार, धरती, नदी और पेड़-पौधों की पूजा करने पर जोर दे रहे हैं, लेकिन इस्लाम में इन सभी चीजों की पूजा करना हराम है।