मोहम्मद रफी की 101वीं जयंती: जीवन की अनकही कहानियाँ और संगीत की विरासत
मोहम्मद रफी का जीवन और संगीत
मोहम्मद रफी
मोहम्मद रफी की 101वीं जयंती: भारतीय सिनेमा के सबसे प्रिय गायकों में से एक, मोहम्मद रफी का जन्म 24 दिसंबर 1924 को अमृतसर के पास कोटला सुल्तान सिंह में हुआ था। संगीत के प्रति उनकी रुचि बचपन से ही थी, और उन्होंने केवल 13 वर्ष की आयु में लाहौर में मंच पर प्रदर्शन किया। रफी ने 28,000 से अधिक गानों को अपनी आवाज दी और उन्हें पद्मश्री जैसे कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से नवाजा गया। दुर्भाग्यवश, उन्होंने बहुत कम उम्र में इस दुनिया को अलविदा कह दिया।
उनकी आवाज इतनी मधुर और आकर्षक थी कि वह सीधे श्रोताओं के दिलों में बस जाती थी। उनके निधन के 45 साल बाद भी, उनकी यादें लोगों के दिलों में जीवित हैं। आज, हम उनकी 101वीं जयंती पर उनके व्यक्तिगत जीवन के बारे में जानेंगे। मोहम्मद रफी ने दो शादियाँ की थीं और उनके कुल 7 बच्चे थे। उनकी अंतिम यात्रा में 10 लाख लोगों की भीड़ शामिल हुई थी।
पहली शादी 14 वर्ष की आयु में
जब अन्य बच्चे पढ़ाई और खेल में व्यस्त होते हैं, तब मोहम्मद रफी ने 14 वर्ष की आयु में शादी कर ली थी। उनके माता-पिता ने 1938 में उनकी शादी बशीरा बीबी से कराई। इस शादी से उन्हें एक बेटा हुआ।
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दूसरी पत्नी से 6 संतानें
मोहम्मद रफी ने 1945 में बिलकिस बानो से दूसरी शादी की, जब उनकी उम्र 19 वर्ष थी। इस विवाह से उन्हें 6 संतानें हुईं, जिनमें तीन बेटे और तीन बेटियाँ शामिल हैं। उनके बच्चों के नाम हैं: शाहिद रफी, नसरीन रफी, यासमिन रफी, हमीद रफी, सईद रफी, खालिद रफी और परवीन रफी।
मोहम्मद रफी के प्रसिद्ध गाने
रफी के लिए 1952 में आई फिल्म ‘बैजू बावरा’ उनके करियर का महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई। इसके बाद, उन्होंने लगातार सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ीं। उनके कुछ सबसे प्रसिद्ध गाने हैं: चौदहवीं का चांद, मैंने पूछा चांद से, आज कल तेरे मेरे प्यार के चर्चे, बहारों फूल बरसाओ, और ये चांद सा रोशन चेहरा।
अंतिम यात्रा में 10 लाख लोग शामिल हुए
मोहम्मद रफी का निधन केवल 55 वर्ष की आयु में हुआ। उन्होंने 31 जुलाई 1981 को मुंबई में अंतिम सांस ली। प्रसिद्ध गायक उदित नारायण ने एक इंटरव्यू में बताया कि उनकी अंतिम यात्रा में 10 लाख लोग शामिल हुए थे, जबकि उस दिन जोरदार बारिश हो रही थी, जिससे ऐसा प्रतीत हो रहा था कि प्रकृति भी उनके लिए शोक मना रही है।
