मोहन भागवत की पाकिस्तान नीति: शांति की चाहत और सख्त जवाब
संघ प्रमुख की पाकिस्तान के प्रति दृष्टिकोण
संघ प्रमुख मोहन भागवत
संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने स्पष्ट किया है कि भारत हमेशा पाकिस्तान के साथ शांति की कामना करता है, लेकिन पाकिस्तान की नीतियाँ इसके विपरीत हैं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को भारत के साथ संघर्ष छोड़कर स्वस्थ प्रतिस्पर्धा की ओर बढ़ना चाहिए। जब तक ऐसा नहीं होता, तब तक हमें उसे उसी की भाषा में जवाब देना होगा।
भागवत ने यह भी कहा कि पाकिस्तान को यह समझना चाहिए कि भारत के साथ संघर्ष करने का परिणाम हमेशा नुकसानदायक होगा। भारत चाहता है कि पड़ोसी देश शांति से आगे बढ़े और विकास करे, जिसमें हम उसकी मदद भी कर सकते हैं।
#WATCH | Bengaluru | पाकिस्तान के बारे में पूछे जाने पर RSS प्रमुख मोहन भागवत ने कहा, "हम हमेशा पाकिस्तान के साथ शांति चाहते हैं। यह पाकिस्तान है जो हमारे साथ शांति नहीं चाहता। जब तक पाकिस्तान को भारत को नुकसान पहुँचाने में संतोष मिलता रहेगा, वह ऐसा करता रहेगा।" pic.twitter.com/LKQDsIV4Y4
— News Media (@NewsMedia) November 9, 2025
भागवत ने 1971 के युद्ध का उदाहरण देते हुए कहा कि उस समय पाकिस्तान ने भारत के हाथों 90,000 सैनिकों को खोया था। अगर यह सिलसिला जारी रहा, तो पाकिस्तान को यह समझ में आ जाएगा कि सहयोग करना ही बेहतर है। उन्होंने कहा कि हमें पाकिस्तान को समझाने के लिए उनकी भाषा में बात करनी होगी और उनकी बार-बार की कोशिशों का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा।
संघ प्रमुख ने कहा कि हमें उन्हें सख्त जवाब देना होगा, हर बार उन्हें इतना नुकसान पहुँचाना होगा कि वे पछताएँ। जब ऐसा होता रहेगा, तो एक दिन पाकिस्तान समझ जाएगा। हम चाहते हैं कि वे इसे समझें और हमारे शांतिपूर्ण पड़ोसी बनें। हमारी प्रगति के साथ उनकी प्रगति भी हो। यही हमारा शांतिपूर्ण इरादा है।
