मोहन भागवत का बयान: क्या हर भारतीय हिंदू है?

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने हाल ही में एक बयान दिया है जिसमें उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति जो भारत पर गर्व करता है, वह हिंदू है। इस बयान ने कई सवाल उठाए हैं, जैसे कि क्या हर भारतीय को हिंदू माना जा सकता है? क्या धर्म और राष्ट्रीयता का संबंध है? इस लेख में हम भागवत के बयान की व्याख्या और उसके सामाजिक पहलुओं पर चर्चा करेंगे।
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मोहन भागवत का बयान: क्या हर भारतीय हिंदू है?

हिंदू धर्म और राष्ट्रीयता का संबंध

मोहन भागवत का बयान: क्या हर भारतीय हिंदू है?

हिंदू धर्म, देशभक्ति और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने हाल ही में एक विवादास्पद बयान दिया है, जिसमें उन्होंने कहा कि जो भी व्यक्ति भारत पर गर्व करता है, वह हिंदू है। यदि इस परिभाषा को मान लिया जाए, तो हर भारतीय नागरिक और उनके परिवार के सदस्य हिंदू माने जाएंगे, चाहे उनका धर्म कुछ भी हो। यह एक उदार दृष्टिकोण है, लेकिन जटिल भी है, क्योंकि हर धर्म के अपने सिद्धांत होते हैं और उनके अनुसार ही अनुयायी की पहचान होती है।

देश पर गर्व करने का भाव हर व्यक्ति में होता है, लेकिन क्या हर व्यक्ति हिंदू कहलाएगा? बांग्लादेश, पाकिस्तान, म्यांमार और श्रीलंका में भी लाखों लोग हैं जो अपने देश पर गर्व करते हैं, लेकिन क्या उन्हें हिंदू कहा जा सकता है?


हिंदू धर्म की परिभाषा पर सवाल

हिंदू धर्म की व्याख्या

भागवत जी का यह कहना कि हिंदू कोई धर्म नहीं, बल्कि एक समाज है, एक नई परिभाषा को जन्म देता है। हिंदू धर्म अब एक स्थिर रूप ले चुका है, जिसे केवल परंपराओं के आधार पर नहीं समझा जा सकता। हिंदू धर्म में विभिन्न मत और विचारधाराएं हैं, लेकिन उनके बीच एक समानता भी है।

हालांकि, ईसाई और इस्लाम धर्म इस परिभाषा को कैसे स्वीकार करेंगे? ये धर्म अलग पृष्ठभूमि से आए हैं। कई भारतीय जो पहले हिंदू थे, उन्होंने ईसाई या इस्लाम को अपनाया है। वे भारतीय तो हैं, लेकिन खुद को हिंदू नहीं मानते।


धर्म का महत्व

धर्म और संस्कार

आज तक हिंदू की कोई सार्वभौमिक परिभाषा नहीं बनी है। आमतौर पर माना जाता है कि जो व्यक्ति भारत में रहता है और इस्लाम या ईसाई धर्म के दायरे से बाहर है, वह हिंदू है। हालांकि, सिख, जैन और बौद्ध धर्म भी भारत में उत्पन्न हुए हैं, लेकिन वे खुद को हिंदू नहीं मानते।

हर धर्म के पीछे एक नैतिकता होती है, जो मानव जीवन को दिशा देती है। धर्म ही मनुष्य को एक नियति और जीवन जीने की कला सिखाता है।


धर्म का सामाजिक पहलू

समाज में धर्म का स्थान

RSS प्रमुख को यह कहना चाहिए कि भारतीय समाज में सभी धर्मों का समान महत्व है। धर्म ने मनुष्य को एक दिशा दी है, जिससे वह अपने जीवन को सही तरीके से जी सके। आज के युग में धर्म ही मनुष्य को संबल प्रदान करता है।

स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि धर्म को जानने के लिए दुखी और वंचित व्यक्ति की सेवा करनी चाहिए। यही सच्चा धर्म है।


निष्कर्ष

सच्चा भारतीय कौन?

भागवत जी को यह स्पष्ट करना चाहिए कि जो व्यक्ति अपने देश पर गर्व करता है, वह सच्चा भारतीय है, चाहे उसकी धार्मिक आस्था कुछ भी हो। धर्म का नाम लेकर किसी को छोटा या बड़ा नहीं कहा जा सकता।