मोहन भागवत का पाकिस्तान पर तीखा बयान: द्विराष्ट्रवाद का भूत और धर्मांतरण का मुद्दा

RSS प्रमुख मोहन भागवत ने नागपुर में एक समारोह में पाकिस्तान को दोगला करार दिया और द्विराष्ट्रवाद के सिद्धांत पर सवाल उठाया। उन्होंने धर्मांतरण के मुद्दे पर भी कड़ा रुख अपनाया, इसे हिंसा के रूप में परिभाषित किया। भागवत ने कहा कि समाज को सजग रहना चाहिए और विभिन्न वर्गों के बीच संघर्ष को रोकना हमारी जिम्मेदारी है। उनके बयान का संदर्भ कश्मीर में हालिया आतंकी हमले से भी जुड़ा है। जानें उनके विचार और इस मुद्दे का महत्व।
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मोहन भागवत का पाकिस्तान पर तीखा बयान: द्विराष्ट्रवाद का भूत और धर्मांतरण का मुद्दा

RSS प्रमुख का पाकिस्तान पर बयान

नागपुर में कार्यकर्ता विकास वर्ग के समापन समारोह में RSS के प्रमुख मोहन भागवत ने पाकिस्तान को दोगला करार दिया। उन्होंने द्विराष्ट्रवाद के सिद्धांत पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह विचार आज भी पाकिस्तान के लिए एक भूत की तरह बना हुआ है। भागवत ने कहा कि पाकिस्तान के मन में द्विराष्ट्र सिद्धांत का भूत था, जिसके कारण वह अलग हुआ। अलग होने के बाद उसने अशांति फैलाना शुरू कर दिया। यह दोगलापन जब तक जारी रहेगा, तब तक देश में खतरे बने रहेंगे। यह बयान उस समय आया है जब कश्मीर के पहलगाम में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान आतंकी हमले की खबरों से देश में आक्रोश व्याप्त है। भागवत ने यह भी कहा कि पाकिस्तान आतंकवाद को समर्थन देकर भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा उत्पन्न करता है।


धर्मांतरण पर कड़ा रुख

समारोह में आदिवासी नेता अरविंद नेताम ने आदिवासी क्षेत्रों में धर्मांतरण के मुद्दे को उठाया, जिसके जवाब में मोहन भागवत ने इसे हिंसा के रूप में परिभाषित किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि कोई व्यक्ति अपनी इच्छा से पूजा का तरीका बदलता है, तो इसमें कोई समस्या नहीं है, लेकिन जब धर्म परिवर्तन लालच या दबाव के तहत होता है, तो वह हिंसा है। भागवत ने यह भी कहा कि जो लोग अपने मूल धर्म में लौटना चाहते हैं, उन्हें वापस लाने का प्रयास होना चाहिए। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) लंबे समय से घर वापसी अभियान का समर्थन करता आ रहा है, और इस बयान को उसी विचारधारा की पुष्टि के रूप में देखा जा रहा है।


आदिवासी क्षेत्रों में धर्म परिवर्तन

कार्यक्रम में आदिवासी नेता नेताम ने यह मुद्दा उठाया कि आदिवासी क्षेत्रों में योजनाबद्ध तरीके से धर्मांतरण हो रहा है। मोहन भागवत ने इस पर सहमति जताते हुए कहा कि यदि कोई व्यक्ति मजबूरी या धोखे से धर्म बदलता है, तो उसे अपने मूल धर्म में लौटने का अधिकार होना चाहिए। समाज को ऐसे व्यक्तियों का समर्थन करना चाहिए, न कि उन्हें बहिष्कृत करना चाहिए।


पाकिस्तान के खतरे का जिक्र

मोहन भागवत ने पहलगाम नरसंहार के संदर्भ में पाकिस्तानी जनरल आसिम मुनीर के एक बयान का उल्लेख करते हुए कहा कि जब तक द्विराष्ट्रवाद का प्रभाव बना रहेगा, तब तक देश को खतरे का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि बार-बार सबक सिखाने के बावजूद यह खतरा समाप्त नहीं होगा। इस संदर्भ में, भागवत ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान के साथ खड़े देशों पर कटाक्ष करते हुए कहा कि यह समय उन देशों की भी परीक्षा थी जो सत्य के साथ खड़े होने का दावा करते हैं। इसलिए, उन्होंने जोर देकर कहा कि हमें अपनी सुरक्षा के लिए आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम उठाने की आवश्यकता है।


समाज को सजग रहने की आवश्यकता

मोहन भागवत ने कहा कि हमें केवल रक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता नहीं हासिल करनी चाहिए, बल्कि समाज को भी सजग और एकजुट रखना आवश्यक है। समाज के विभिन्न वर्गों के बीच संघर्ष को रोकना हमारी जिम्मेदारी है। किसी भी स्थिति में कानून को अपने हाथ में लेना उचित नहीं है, क्योंकि भारत का शासन संविधान के अनुसार चलता है। इसलिए हमें हिंसा और प्रतिक्रियाओं से बचना चाहिए। कुछ लोग समाज को उत्पीड़ित बताकर उसे भड़काने का प्रयास करते हैं, लेकिन हमें उनके प्रभाव में आकर संयम नहीं खोना चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि देश में भाषा, संस्कृति और पूजा की विविधता है, लेकिन हमारी असली ताकत एकता में निहित है। हमें इस विविधता के बीच अपनी एकता को बनाए रखना चाहिए, क्योंकि हमारी जड़ें एकता में हैं, न कि विविधता में।