मोरक्को में भूकंप से पहले आसमान में रहस्यमय रोशनी का प्रकट होना

मोरक्को में हाल ही में आए भूकंप ने भारी तबाही मचाई है, जिसमें हजारों लोगों की जान गई है। इस घटना से पहले आसमान में नीली रोशनी के रहस्यमय विस्फोट ने लोगों का ध्यान खींचा है। क्या यह किसी आसन्न आपदा का संकेत है? जानें इस घटना के पीछे के संभावित कारण और अन्य देशों में देखी गई समान घटनाओं के बारे में।
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मोरक्को में भूकंप से पहले आसमान में रहस्यमय रोशनी का प्रकट होना

मोरक्को में भूकंप की तबाही

मोरक्को में हाल ही में आए भूकंप ने व्यापक तबाही मचाई है, जिसमें लगभग 2,500 लोगों की जान चली गई है और मृतकों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। इस भयानक प्राकृतिक आपदा के बाद, अधिकारी सीसीटीवी फुटेज की जांच कर रहे हैं, जिसमें इस दुखद घटना के पहले, दौरान और बाद के क्षणों को कैद किया गया है।


आसमान में नीली रोशनी का रहस्य

भूकंप से लगभग तीन मिनट पहले, शहर के कुछ घरों में सुरक्षा कैमरों ने आकाश में नीली रोशनी के विस्फोट को रिकॉर्ड किया। इस घटना का कारण अभी भी रहस्य बना हुआ है, जिससे यह सवाल उठता है कि क्या यह किसी आसन्न आपदा का संकेत है।


तुर्की में भी देखी गई थी ऐसी रोशनी

इससे पहले, तुर्की में आए भूकंप से पहले भी ऐसी ही रोशनी की घटनाएं देखी गई थीं। यह ध्यान देने योग्य है कि ये चमकदार रोशनी पूरी तरह से नई नहीं हैं, क्योंकि इन्हें इस साल की शुरुआत में तुर्की में आए विनाशकारी भूकंप से पहले भी देखा गया था, जिसमें 45,000 लोगों की जान गई थी।


भूकंप की रोशनी का वैज्ञानिक विश्लेषण

एक सिद्धांत के अनुसार, ये चमकें टेक्टोनिक दबाव, भूकंपीय गतिविधि या ज्वालामुखी विस्फोट से संबंधित हो सकती हैं। हालांकि, इस अद्वितीय घटना का सटीक कारण अभी तक वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित नहीं हुआ है। दिलचस्प बात यह है कि भूकंप के समय रोशनी की रिपोर्ट सदियों से होती आ रही है, और आधुनिक तकनीक के विकास के साथ, मानवता इस घटना के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने में सफल रही है।


अन्य देशों में भी देखी गई भूकंप के दौरान रोशनी

ये चमकदार घटनाएं अक्सर भूकंपीय गतिविधियों या खगोलीय घटनाओं से जुड़ी होती हैं। ये हमेशा प्रकट नहीं होतीं, लेकिन भूकंप के समय और उपरिकेंद्र के निकटता में दिखाई देती हैं, जहां टेक्टोनिक दबाव सबसे अधिक होता है। कैमरे में कैद भूकंप की रोशनी का पहला रिकॉर्ड 1965 में जापान में हुआ था। इसके बाद, 2008 में चीन, 2009 में इटली और 2017 में मैक्सिको में भी इसी तरह की घटनाएं देखी गई हैं।