मोबाइल चोरी की बढ़ती घटनाओं के बीच दिल्ली पुलिस की सफल रिकवरी
दिल्ली पुलिस की पहल
देशभर में मोबाइल चोरी और खोने की घटनाओं में वृद्धि के बावजूद, एक सकारात्मक बदलाव देखने को मिला है। मोबाइल का चोरी होना, गिरना या खो जाना आम बात हो गई है, और रोजाना कई लोग इसके शिकार होते हैं। हाल के वर्षों में मोबाइल से जुड़े साइबर अपराधों में वृद्धि के चलते पुलिस ने सक्रियता बढ़ा दी है। दिल्ली पुलिस ने हाल ही में 152 खोए हुए और चोरी हुए मोबाइल फोन बरामद किए और उन्हें उनके असली मालिकों को लौटाया। एक अधिकारी ने मंगलवार को इस बारे में जानकारी दी।
महत्वपूर्ण जानकारी की सुरक्षा
पुलिस के अनुसार, मोबाइल फोन में महत्वपूर्ण व्यक्तिगत जानकारी, वित्तीय विवरण और यादें होती हैं, जिनके खो जाने से लोगों को काफी परेशानी होती है। पिछले वर्षों में सीमित बरामदगी के कारण नागरिकों में यह धारणा बन गई थी कि खोए हुए फोन का पता लगाना पुलिस की प्राथमिकता नहीं है। इस धारणा को बदलने के लिए पुलिस ने 152 मोबाइल फोन की बरामदगी की और उन्हें उनके असली मालिकों को सौंपा। इस पहल का नेतृत्व एक विशेष महिला टीम ने किया, जिसने तकनीकी उपकरणों और दूरसंचार विभाग के केंद्रीय उपकरण पहचान रजिस्टर (सीईआईआर) पोर्टल का उपयोग किया।
बरामदगी में सुधार
पिछले चार महीनों में चोरी और खोए हुए मोबाइल फोन की बरामदगी में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। अगस्त से नवंबर 2024 के बीच, राज्य पुलिस बलों और डिजिटल ट्रैकिंग प्लेटफार्मों के समन्वित प्रयासों से हजारों नागरिकों को उनके खोए हुए उपकरण वापस मिले। इस अवधि में, राष्ट्रीय मोबाइल रिकवरी दर में 31.71% का सुधार हुआ, जो हाल के वर्षों में सबसे बड़ा उछाल है। देश की औसत रिकवरी दर लगभग 27% है, लेकिन कई राज्यों ने बेहतर प्रदर्शन किया है, जैसे उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, बिहार और झारखंड।
मोबाइल फोन की रिकवरी की चुनौतियाँ
चोरी हुए मोबाइल फोन की बरामदगी अन्य चोरी हुई वस्तुओं की तुलना में अधिक जटिल होती है। अक्सर, फोन एक शहर में चोरी होते हैं और कुछ ही दिनों में दूसरे राज्य में सक्रिय हो जाते हैं। उदाहरण के लिए, दिल्ली में चोरी हुआ फोन बिहार, पश्चिम बंगाल, असम या उत्तर प्रदेश के किसी दूरदराज के कस्बे में मिल सकता है। यह अंतरराज्यीय गतिविधि रिकवरी प्रक्रिया को जटिल बनाती है। IMEI निगरानी या डिजिटल सिस्टम के माध्यम से उपकरण का स्थान पता लगने पर भी, पुलिस को उस राज्य के स्थानीय अधिकारियों के साथ समन्वय करना पड़ता है।
जन जागरूकता की आवश्यकता
विशेषज्ञों का कहना है कि एक और बाधा सेकेंड-हैंड या चोरी हुए उपकरणों का बाजार है। कई लोग अनजाने में या जानबूझकर चोरी हुए फोन रखते या खरीदते हैं। कानूनी रूप से, यह चोरी की संपत्ति रखने के अपराध के अंतर्गत आता है, इसलिए जन जागरूकता बढ़ाना आवश्यक है।
