मोदी सरकार का 'एक देश, एक चुनाव' का संकल्प: 2034 तक एक साथ चुनाव कराने की योजना
मोदी सरकार ने 'एक देश, एक चुनाव' के तहत 2034 तक एक साथ चुनाव कराने की योजना बनाई है। इस योजना के अंतर्गत, 2029 के बाद चुनी गई सभी राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल कम किया जाएगा। यह कदम चुनावी प्रक्रिया को सरल बनाने और सरकारी खर्च को कम करने के उद्देश्य से उठाया गया है। जानें इस विधेयक के प्रावधानों और चुनावों के समन्वय के बारे में अधिक जानकारी।
Jun 10, 2025, 10:47 IST
|

एक देश, एक चुनाव की दिशा में कदम
मोदी सरकार, जिसने कई महत्वपूर्ण कानूनी और प्रशासनिक सुधार किए हैं, अब 'एक देश, एक चुनाव' के लक्ष्य की ओर बढ़ रही है। जानकारी के अनुसार, सरकार ने संविधान संशोधन विधेयक को पारित करने के बाद 2034 तक देशभर में एक साथ चुनाव कराने की योजना बनाई है। इस योजना के तहत, 2029 के बाद चुनी गई सभी राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल कम किया जाएगा ताकि वे 2034 के आम चुनावों के साथ समन्वयित हो सकें।
संविधान संशोधन विधेयक का महत्व
संविधान (129वां संशोधन) विधेयक, 2024 पर गठित संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के अध्यक्ष पी.पी. चौधरी ने बताया कि 2032 में होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव का कार्यकाल केवल दो साल का हो सकता है, ताकि यह चुनाव 2034 में होने वाले लोकसभा चुनाव के साथ समन्वयित हो सके। यह विधेयक लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने का प्रावधान करता है।
चुनावों का समन्वय और प्रक्रिया
संविधान संशोधन विधेयक के अनुसार, राष्ट्रपति लोकसभा के आम चुनाव के बाद पहली बैठक की तिथि पर एक अधिसूचना जारी कर सकते हैं, जिसमें अगले आम चुनाव की तिथि का ऐलान किया जाएगा। सभी राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल उस लोकसभा के पांच वर्षीय कार्यकाल के साथ समाप्त होगा। यदि किसी विधानसभा का कार्यकाल पांच वर्ष से पहले समाप्त होता है, तो चुनाव केवल शेष कार्यकाल के लिए कराए जाएंगे।
राज्य विधानसभा चुनावों की स्थिति
हालांकि, यदि चुनाव आयोग को लगता है कि किसी राज्य विधानसभा का चुनाव अन्य राज्यों के साथ एक साथ कराना संभव नहीं है, तो वह राष्ट्रपति को इस बारे में सिफारिश कर सकता है। इसके बाद राष्ट्रपति उस विधानसभा के लिए किसी अन्य तिथि पर चुनाव कराने का आदेश दे सकते हैं। जेपीसी के अध्यक्ष पीपी चौधरी ने कहा कि समिति की कार्यशैली को देखते हुए इसकी अवधि बढ़ाई जा सकती है।
पिछले चुनावों का संदर्भ
आपको याद दिला दें कि 1951-52 से 1967 तक लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव अक्सर एक साथ कराए गए थे। इसके बाद यह प्रक्रिया टूट गई, जिससे हर साल चुनाव होते रहते हैं। इससे सरकार का खर्च बढ़ता है और आदर्श आचार संहिता के कारण विभिन्न योजनाओं का कार्यान्वयन प्रभावित होता है।
विधि आयोग की सिफारिशें
भारत के विधि आयोग ने अपनी 170वीं रिपोर्ट में कहा है कि "प्रत्येक वर्ष और बिना उचित समय के चुनावों के चक्र का अंत होना चाहिए। हमें उस स्थिति का पुनरावलोकन करना चाहिए जहां लोकसभा और सभी विधानसभाओं के चुनाव एक साथ होते हैं।"