मोकामा सीट पर बाहुबली मुकाबला: अनंत सिंह और वीणा देवी की चुनावी जंग

मोकामा में बाहुबली बनाम बाहुबली

मोकामा में फिर बाहुबली बनाम बाहुबली
बिहार में विधानसभा चुनावों का माहौल काफी रोचक होता जा रहा है। सीटों के बंटवारे पर सहमति बनाने की कोशिशें, टिकट न मिलने पर नेताओं की नाराजगी और दलबदल के चलते कुछ सीटों पर होने वाले कड़े मुकाबले चर्चा का विषय बन गए हैं। मोकामा सीट पर दो बाहुबलियों के बीच अप्रत्यक्ष चुनावी संघर्ष की स्थिति बन गई है। 25 साल बाद अनंत सिंह और सूरजभान का परिवार चुनावी मैदान में आमने-सामने होगा।
चुनाव से पहले बिहार में दलबदल का खेल भी जोरों पर है। चिराग पासवान के चाचा पशुपति पारस ने राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी से इस्तीफा देने के कुछ घंटों बाद बलिया के पूर्व सांसद सूरजभान सिंह ने राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) में शामिल हो गए। लालू की पार्टी में शामिल होने के तुरंत बाद तेजस्वी यादव ने सूरजभान की पत्नी वीणा देवी को मोकामा सीट से टिकट दे दिया। वीणा देवी अनंत सिंह को दादा कहती हैं।
मोकामा में 2 बाहुबलियों के बीच जंग
यह वही मोकामा सीट है जहां जनता दल यूनाइटेड के टिकट पर अनंत सिंह चुनाव लड़ रहे हैं। इस प्रकार, अब इस सीट पर दो बाहुबलियों के बीच मुकाबला होने जा रहा है। एक ओर खुद बाहुबली हैं और दूसरी ओर बाहुबली की पत्नी। सूरजभान सिंह ने भले ही देर रात आरजेडी का दामन थामा हो, लेकिन उनकी पत्नी वीणा देवी पहले से ही तेजस्वी की पार्टी में हैं।
मोकामा में पहले चरण के तहत वोटिंग होनी है और इसके लिए नामांकन दाखिल करने की समय सीमा अब केवल 2 दिन बची है। जेडीयू के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले अनंत सिंह पहले ही अपना नामांकन दाखिल कर चुके हैं, जबकि वीणा देवी आज अपना पर्चा जमा कर सकती हैं।
5 बार अनंत, एक बार सूरजभान जीते
दिलचस्प बात यह है कि ये दोनों बाहुबली लंबे समय से राजनीति में सक्रिय हैं और अपनी दबंगई के लिए जाने जाते हैं। अनंत सिंह इस सीट से 5 बार विधायक चुने गए हैं, जबकि सूरजभान सिंह पूर्व सांसद हैं और वह अपनी पत्नी और पार्टी की जीत के लिए पूरी ताकत लगाएंगे।
अनंत सिंह इस बार जेडीयू के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन पिछला चुनाव उन्होंने आरजेडी के टिकट पर लड़ा था और जीत भी हासिल की थी। हालांकि, एक मामले में दोषी पाए जाने के कारण उन्हें विधायकी छोड़नी पड़ी। 2022 में उपचुनाव में उनकी पत्नी नीलम देवी ने आरजेडी के टिकट पर चुनाव लड़ा और 16 हजार से अधिक वोटों के अंतर से जीत हासिल की।
अजेय अनंत ने मोकामा में लगाई हैट्रिक
मोकामा क्षेत्र में अनंत सिंह की पकड़ मजबूत रही है। वह 2005 से लगातार अजेय बने हुए हैं। फरवरी 2005 में चुनाव जीतने के बाद, उन्होंने नवंबर 2005 और 2010 में भी जीत हासिल की।
हालांकि, 2015 के चुनाव से पहले अनंत सिंह का जेडीयू से मोह भंग हो गया और उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा, जिसमें वह फिर से विजयी रहे। 2020 में चुनाव से पहले वह आरजेडी में शामिल हुए और इस बार भी अपनी जीत दर्ज की। कानूनी कारणों से विधायकी छोड़ने के बाद, 2022 में उनकी पत्नी ने चुनाव लड़ा और जीत हासिल की।
2000 में चुनावी जंग में पहली बार परिवार
सूरजभान ने इस सीट से 2000 में चुनाव लड़ा था, जब उनका मुकाबला अनंत सिंह के बड़े भाई दिलीप सिंह से था। सूरजभान ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा और जेल में रहते हुए भी जीत हासिल की।
सूरजभान बाद में सांसद बने और उनके परिवार के तीन सदस्य सांसद चुने गए। 2004 में उन्होंने रामविलास पासवान की पार्टी के टिकट पर सांसद बने और 2014 में उनकी पत्नी वीणा देवी मुंगेर से सांसद बनीं।
25 साल पहले हार का बदला लेने का मौका
अनंत सिंह के बड़े भाई दिलीप सिंह 2 बार मोकामा सीट से विधायक चुने गए थे। इस प्रकार, मोकामा में इन दोनों बाहुबलियों के परिवारों का दबदबा रहा है। हालांकि, अधिकांश समय अनंत सिंह के परिवार की पकड़ रही।
1990 से 2020 तक हुए 9 चुनावों में सूरजभान ने एक बार जीत हासिल की, जबकि 8 बार अनंत सिंह के परिवार के सदस्य विजयी रहे। अनंत सिंह ने 5 बार, बड़े भाई दिलीप सिंह ने 2 बार और पत्नी नीलम देवी ने एक बार जीत हासिल की है।
अब अनंत सिंह एक बार फिर चुनावी मैदान में हैं और उनके सामने 2000 की हार का बदला लेने का मौका है, जिसमें सूरजभान ने उनके बड़े भाई दिलीप सिंह को हराया था। इस बार अनंत खुद मैदान में हैं और सूरजभान की पत्नी चुनावी मुकाबले में हैं।