मुसलमानों के पानी पीने के तरीके: धार्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण

इस लेख में हम मुसलमानों के पानी पीने के तरीकों पर चर्चा करेंगे, जो पैगंबर मुहम्मद की शिक्षाओं पर आधारित हैं। जानें कि क्यों बैठकर पानी पीना इस्लाम में महत्वपूर्ण है और इसके पीछे के वैज्ञानिक कारण क्या हैं। इस्लाम में पानी पीने की सुन्नतें और स्वास्थ्य लाभ भी इस लेख में शामिल हैं।
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मुसलमानों के पानी पीने के तरीके: धार्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण

पानी पीने की इस्लामी परंपरा

मुसलमानों के पानी पीने के तरीके: धार्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण


दुनिया भर के मुसलमान पैगंबर मुहम्मद की शिक्षाओं और कुरान में दिए गए निर्देशों का पालन करते हैं। इनमें से एक महत्वपूर्ण नियम है बैठकर पानी पीना।


इस्लाम में बैठकर पानी पीने की परंपरा को पैगंबर मुहम्मद की सुन्नत के रूप में माना जाता है। इसके विपरीत, खड़े होकर पानी पीना नापसंद किया जाता है।


पैगंबर मुहम्मद स्वयं भी बैठकर पानी पीते थे, जिससे यह परंपरा स्थापित हुई। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी खड़े होकर पानी पीने से स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, जैसे एसिडिटी और गुर्दों पर दबाव।


इस्लाम में पानी पीने के लिए छह सुन्नतें हैं: 1) पानी पीने से पहले "बिस्मिल्लाह" कहना, 2) दाहिने हाथ से पीना, 3) बैठकर पीना, 4) पानी को देखना, 5) तीन घूंट में पीना, और 6) पानी पीने के बाद "अल्हम्दुलिल्लाह" कहना।


मुसलमान एक बार में पूरा पानी नहीं पीते, बल्कि इसे तीन घूंट में लेते हैं। यह भी वैज्ञानिक रूप से सही है, क्योंकि लगातार पानी पीने से मांसपेशियों और नसों को नुकसान हो सकता है।


पानी पीने से पहले "बिस्मिल्लाह" कहना अनिवार्य है, और दाहिने हाथ का उपयोग करने की सलाह दी जाती है। पैगंबर मुहम्मद ने कहा है कि बाएं हाथ से खाना और पीना शैतान का तरीका है।


हालांकि, कुछ विशेष परिस्थितियों में खड़े होकर पानी पीना भी स्वीकार्य है। उदाहरण के लिए, पैगंबर मुहम्मद जमजम का पानी खड़े होकर पीते थे, और इस परंपरा का पालन आज भी किया जाता है।