मुफ्ती शमाइल नदवी: ईश्वर के अस्तित्व पर बहस में उभरे नए विचारक

मुफ्ती शमाइल नदवी हाल ही में ईश्वर के अस्तित्व पर एक महत्वपूर्ण बहस में शामिल हुए, जिसमें उन्होंने अपने विचार प्रस्तुत किए। इस लेख में हम जानेंगे कि वे कौन हैं, उनकी शिक्षा का इतिहास क्या है, और वे मलेशिया में किस विषय पर पीएचडी कर रहे हैं। उनके तर्कों ने उन्हें चर्चा का केंद्र बना दिया है, और लोग उनकी शिक्षा और विचारों के बारे में अधिक जानने के लिए उत्सुक हैं।
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मुफ्ती शमाइल नदवी: ईश्वर के अस्तित्व पर बहस में उभरे नए विचारक

ईश्वर के अस्तित्व पर बहस में मुफ़्ती शमाइल नदवी की भूमिका

मुफ्ती शमाइल नदवी: ईश्वर के अस्तित्व पर बहस में उभरे नए विचारक

ईश्वर के अस्तित्व पर डिबेट ये चर्चा में मुफ्ती शमाइल नदवीImage Credit source: Social Media


मुफ्ती शमाइल नदवी की शिक्षा: हाल ही में नई दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में ईश्वर के अस्तित्व पर एक महत्वपूर्ण बहस आयोजित की गई। इस बहस में प्रसिद्ध गीतकार जावेद अख्तर और मुफ्ती शमाइल नदवी ने अपने विचार प्रस्तुत किए। जावेद अख्तर के मुकाबले, मुफ्ती शमाइल नदवी एक नए चेहरे के रूप में सामने आए, लेकिन उनके तर्कों ने उन्हें चर्चा का केंद्र बना दिया। इस बहस के बाद, लोग जानना चाहते हैं कि मौलाना शमाइल नदवी कौन हैं और उनकी शिक्षा का क्या इतिहास है।


कोलकाता में प्रारंभिक शिक्षा और लखनऊ में डिग्री

मुफ्ती शमाइल नदवी का असली नाम शमाइल अहमद अब्दुल्ला है। उनका जन्म 7 जून 1998 को कोलकाता में हुआ। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा कोलकाता में ही प्राप्त की, जहाँ उन्होंने मदरसे से कुरान की पढ़ाई शुरू की। उनके परिवार का धार्मिक पृष्ठभूमि है। इसके बाद, वे लखनऊ चले गए, जहाँ उन्होंने 2014 में दारुल उलूम नदवतुल में दाखिला लिया और 6 साल की पढ़ाई के बाद मुफ्ती की डिग्री हासिल की। इस दौरान उन्होंने हदीस, कुरान, इस्लामिक धर्मशास्त्र और शरियत कानून का अध्ययन किया।


मलेशिया में पीएचडी की पढ़ाई

मुफ्ती शमाइल नदवी ने मुफ्ती की डिग्री प्राप्त करने के बाद मलेशिया में पीएचडी करने का निर्णय लिया। वे इस्लामिक स्कॉलर के रूप में अपनी पीएचडी कर रहे हैं, जिसमें शरियत कानून और इस्लामिक धर्मशास्त्र का गहरा ज्ञान प्राप्त कर रहे हैं।


नदवी उपनाम का महत्व

मुफ्ती शमाइल नदवी का नाम उनके शैक्षणिक संस्थान दारुल उलूम नदवतुल से जुड़ा हुआ है। इस संस्थान से शिक्षा प्राप्त करने वाले स्कॉलर्स अपने नाम के साथ 'नदवी' उपनाम जोड़ते हैं, जो उन्हें अन्य इस्लामिक विद्वानों से अलग पहचान देता है।