मुजफ्फरनगर दंगों में मुस्लिम नेताओं के खिलाफ आरोप तय

उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में 2013 में हुए दंगों के मामले में विशेष अदालत ने नौ मुस्लिम नेताओं के खिलाफ आरोप तय किए हैं। इनमें पूर्व मंत्री सईदुज्जमा और पूर्व सांसद कादिर राणा शामिल हैं। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 5 मार्च को निर्धारित की है। इस दंगे में 60 से अधिक लोगों की जान गई थी और हजारों लोग विस्थापित हुए थे। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और इसके पीछे की कहानी।
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मुजफ्फरनगर दंगों में मुस्लिम नेताओं के खिलाफ आरोप तय

मुजफ्फरनगर दंगों का मामला


उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले की विशेष अदालत ने 2013 में हुई एक बैठक के दौरान कथित सांप्रदायिक तनाव भड़काने के आरोप में पूर्व मंत्री सईदुज्जमा और पूर्व सांसद कादिर राणा सहित नौ मुस्लिम नेताओं के खिलाफ आरोप तय किए हैं। यह जानकारी एक अधिकारी ने बृहस्पतिवार को दी।


जिले की स्पेशल एमपी-एमएलए कोर्ट के न्यायाधीश देवेंद्र सिंह फौजदार ने जिन नेताओं के खिलाफ आरोप तय किए हैं, उनमें सईदुज्जमा, कादिर राणा, पूर्व विधायक नूर सलीम राणा, मौलाना जमील, सिटी बोर्ड के पूर्व सदस्य असद जमा अंसारी, सुल्तान मशीर एडवोकेट, नौशाद, नौशाद कुरैशी और सलमान सईद शामिल हैं।


अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 5 मार्च को निर्धारित की है। अभियोजन अधिकारी नीरज सिंह के अनुसार, पुलिस ने 30 अगस्त 2013 को खालापार क्षेत्र में आयोजित एक मुस्लिम पंचायत के दौरान भड़काऊ भाषण देने के आरोप में दस लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। हालांकि, एक आरोपी एहसान कुरैशी की मुकदमे के दौरान मृत्यु हो गई थी।


2013 में मुजफ्फरनगर और उसके आस-पास के क्षेत्रों में हुए सांप्रदायिक दंगों में 60 से अधिक लोगों की जान गई थी और 40,000 से ज्यादा लोग विस्थापित हुए थे। यह दंगे कवाल नामक गांव से शुरू हुए थे, जिसके बाद मुजफ्फरनगर और शामली के कुछ इलाकों में भी इसका असर पड़ा। दंगों को नियंत्रित करने के लिए सरकार को रिजर्व फोर्सेस की सहायता लेनी पड़ी थी।