मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने की योजना बनाई

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए नई योजनाओं की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि दुग्ध उत्पादन में रोजगार के कई अवसर हैं और इसे औद्योगिक गतिविधियों का आधार बनाया जाना चाहिए। किसानों की आय में वृद्धि के लिए ग्राम स्तर पर गतिविधियों का संचालन किया जाएगा। सांची ब्रांड के प्रति लोगों का विश्वास बढ़ा है और 2029-30 तक 26 हजार गांवों में डेयरी सहकारी कवरेज का विस्तार करने का लक्ष्य रखा गया है। जानें इस योजना के अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में।
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दुग्ध उत्पादन में रोजगार के अवसर

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि दुग्ध उत्पादन, उसकी प्रोसेसिंग और मार्केटिंग में रोजगार के कई अवसर मौजूद हैं। इसलिए, प्रदेश में दुग्ध उत्पादन को औद्योगिक गतिविधियों के विस्तार का आधार बनाना चाहिए। यह किसानों की आय में वृद्धि करने में भी सहायक होगा। सभी जिलों में समन्वित गतिविधियों के माध्यम से सांची ब्रांड का विस्तार किया जाना चाहिए। सांची उत्पादों की ब्रांडिंग में गोवंश और गोपाल को शामिल करने का सुझाव दिया गया।


किसानों की आय में वृद्धि के उपाय

मुख्यमंत्री ने कहा कि दुग्ध उत्पादन की महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए, किसानों की दक्षता बढ़ाने के लिए ग्राम स्तर पर गतिविधियों का संचालन किया जाना चाहिए। यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि दुग्ध संकलन की व्यवस्था की निगरानी मजबूत हो। दूध की खरीद मूल्यें उत्पादकों के लिए लाभकारी होनी चाहिए और पारदर्शिता सुनिश्चित की जानी चाहिए।


पीपीपी मोड में विस्तार की योजना

डॉ. यादव ने कहा कि प्रदेश में पीपीपी मोड के तहत निजी भागीदारी और डेयरी सहकारी समितियों के समन्वय से दुग्ध उत्पादन गतिविधियों का विस्तार किया जाएगा। इससे उद्यमिता को बढ़ावा मिलेगा, किसानों की आय में वृद्धि होगी और प्रदेश की अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी।


सांची ब्रांड का बढ़ता विश्वास

मुख्यमंत्री ने बताया कि राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के कार्यभार ग्रहण करने के बाद सांची ब्रांड के प्रति लोगों का विश्वास बढ़ा है। कई स्थानों से सांची डेयरी शुरू करने की मांग आ रही है। दुग्ध उत्पादकों को दूध मूल्य के नियमित भुगतान के लिए 10 दिन का रोस्टर तय किया गया है।


भविष्य की योजनाएं

बैठक में बताया गया कि 2029-30 तक 26 हजार गांवों में डेयरी सहकारी कवरेज का विस्तार करने का लक्ष्य है। प्रतिदिन 52 लाख किलोग्राम दूध संकलन, 35 लाख लीटर दूध विक्रय और 63.3 लाख लीटर प्रसंस्करण क्षमता का लक्ष्य रखा गया है। शिवपुरी डेयरी संयंत्र को पुनः प्रारंभ करने की प्रक्रिया शुरू की गई है।