मुख्तार अब्बास नकवी का 68वां जन्मदिन: एक राजनीतिक यात्रा
मुख्तार अब्बास नकवी, भाजपा के मुस्लिम चेहरे, आज 68 वर्ष के हो गए हैं। उनके जीवन की यात्रा में कई महत्वपूर्ण मोड़ हैं, जैसे कि इमरजेंसी के दौरान जेल यात्रा, लोकसभा चुनाव में जीत और केंद्रीय मंत्री के रूप में कार्यकाल। जानें उनके जन्मदिन पर उनके जीवन की कुछ रोचक बातें और राजनीतिक सफर के बारे में।
Oct 15, 2025, 11:28 IST
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मुख्तार अब्बास नकवी का जन्मदिन
भाजपा के मुस्लिम चेहरे के रूप में जाने जाने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी आज, 15 अक्टूबर को, अपने 68वें जन्मदिन का जश्न मना रहे हैं। उन्होंने पहली बार रामपुर से लोकसभा चुनाव जीतकर संसद में कदम रखा। इसके अलावा, नकवी को तीन बार राज्यसभा में भी भेजा गया। छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय रहने वाले नकवी को इमरजेंसी के दौरान केवल 17 वर्ष की आयु में जेल भी जाना पड़ा। आइए, उनके जन्मदिन के अवसर पर उनके जीवन से जुड़ी कुछ दिलचस्प जानकारियों पर नजर डालते हैं...
जन्म और शिक्षा
मुख्तार अब्बास नकवी का जन्म 15 अक्टूबर 1957 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में हुआ। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्रयागराज में प्राप्त की और आगे की पढ़ाई इलाहाबाद विश्वविद्यालय से की। कॉलेज के दिनों से ही वे राजनीति में सक्रिय थे। 1975 में इमरजेंसी के दौरान उन्हें गिरफ्तार किया गया और नैनी सेंट्रल जेल में रखा गया। नकवी को इंदिरा गांधी को चुनाव में हराने वाले समाजवादी नेता राजनारायण के करीबी लोगों में गिना जाता है। छात्र राजनीति के बाद, उन्होंने भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने का निर्णय लिया।
लोकसभा चुनाव में सफलता
मुख्तार अब्बास नकवी ने पहली बार जनता पार्टी के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। इसके बाद, उन्होंने भाजपा में शामिल होकर मऊ जिले के सदर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन फिर से हार का सामना करना पड़ा। 1993 के विधानसभा चुनाव में भी उन्हें असफलता मिली। अंततः, 1998 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने उन्हें रामपुर सीट से उम्मीदवार बनाया, जहां उन्होंने जीत हासिल की। यह पहली बार था जब भाजपा का कोई मुस्लिम चेहरा लोकसभा में पहुंचा।
राजनीतिक करियर
मुख्तार अब्बास नकवी को प्रसारण राज्य मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया। वे 2010 से 2016 तक उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के सदस्य रहे और फिर 2016 में झारखंड से राज्यसभा के लिए चुने गए। 2014 में, वे मोदी सरकार में अल्पसंख्यक मामलों और संसदीय मामलों के राज्य मंत्री बने। 2016 में नजमा हेपतुल्ला के इस्तीफे के बाद, उन्हें अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार मिला।
कैबिनेट में पुनः शामिल होना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूसरे कार्यकाल में, मुख्तार अब्बास नकवी को 2019 में फिर से कैबिनेट में शामिल किया गया। हालांकि, उन्होंने जुलाई 2022 में केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। इसके अलावा, नकवी ने तीन किताबें भी लिखी हैं, जिनमें 'स्याह' (1991), 'दंग' (1998), और 'वैशाली' (2008) शामिल हैं।