मुंबई ट्रेन धमाकों की 2006 की त्रासदी: एक दर्दनाक याद

मुंबई में 11 जुलाई 2006 का दिन

मुंबई: '11 जुलाई 2006...' यह दिन मुंबईवासियों के लिए एक भयावह अनुभव था। इस दिन को याद करते हुए लोग आज भी प्रार्थना करते हैं कि ऐसा दिन किसी को न देखना पड़े। क्या आप जानते हैं इसके पीछे की कहानी? यदि नहीं, तो आइए हम आपको इस घटना के बारे में बताते हैं जो सुनकर आपकी रूह कांप उठेगी।
इस दिन मुंबई में एक साथ 7 बम विस्फोट हुए थे, जिनमें 187 लोगों की जान गई और 829 से अधिक लोग घायल हुए। वर्षों बाद भी इस घटना की याद से हर भारतीय की आंखें भर आती हैं। आइए जानते हैं इस घटना का पूरा विवरण।
11 जुलाई 2006 की घटनाएँ
11 जुलाई 2006 की शाम को, जब लोकल ट्रेनों में भीड़ थी, तब लगभग 6:24 बजे पहले धमाके की आवाज सुनाई दी। इसके बाद माटुंगा रोड, माहिम जंक्शन, बांद्रा, खार रोड, जोगेश्वरी, भयंदर और बोरिवली में एक के बाद एक 7 धमाके हुए। कुल मिलाकर, ये धमाके 10 मिनट के भीतर हुए। अंतिम विस्फोट 6:35 बजे हुआ।
धमाकों के स्थान
– तीन विस्फोट बांद्रा-खार रोड, मीरा रोड-भायंदर और माटुंगा रोड-माहिम स्टेशनों के बीच हुए।
– अन्य विस्फोट तब हुए जब ट्रेनें माहिम, जोगेश्वरी और बोरीवली से रवाना हो रही थीं।
– सबसे अधिक मौतें माहिम में हुईं, जहां 43 लोग मारे गए।
– मीरा रोड-भायंदर के बीच 31, चर्चगेट-विरार में 28, चर्चगेट-बोरिवली में 28, और अन्य स्थानों पर भी कई लोग मारे गए।
– सभी विस्फोट लोकल ट्रेनों के फर्स्ट क्लास कंपार्टमेंट में हुए और आतंकियों ने चर्चगेट से जाने वाली ट्रेनों को निशाना बनाया।
जिम्मेदारी और जांच
इन धमाकों की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा ने ली थी। प्रारंभिक जांच के बाद, आतंकवाद विरोधी दस्ते (एटीएस) ने मामले की जिम्मेदारी संभाली। 20 जुलाई को 13 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया, जबकि 15 लोग फरार थे।
जांच एजेंसी ने महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (MCOCA) और गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत मामला दर्ज किया। 2015 में, ट्रायल कोर्ट ने 12 आरोपियों को दोषी ठहराया, जिनमें से 5 को मौत की सजा और 7 को उम्रकैद मिली।
कोर्ट का फैसला
हाल ही में, कोर्ट ने सभी 12 आरोपियों को बरी कर दिया। अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष अपने आरोपों को ठोस सबूतों के साथ साबित करने में असफल रहा। बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा कि सबूतों में कोई दम नहीं है। अब सवाल यह उठता है कि इन धमाकों का असली जिम्मेदार कौन है?