मुंडन की प्रक्रिया: अंतिम संस्कार के पीछे का रहस्य

मुंडन का महत्व और कारण
जब किसी प्रियजन का निधन होता है, तो उनके प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए सिर का मुंडन करवाना एक प्रथा है। यह एक संकेत है कि हम उनके जाने से कितने दुखी हैं।
इस प्रक्रिया के माध्यम से हम यह दर्शाते हैं कि हम उनके सम्मान में कुछ महत्वपूर्ण चीज का त्याग कर रहे हैं। ऐसा माना जाता है कि इससे मृतक की आत्मा को शांति मिलती है।
दूसरी ओर, जब कोई व्यक्ति अपने प्रियजन के अंतिम संस्कार के बाद उनके पास रहता है, तो उनके आस-पास कई कीटाणु और जीवाणु उत्पन्न हो जाते हैं। इनसे बचने के लिए मुंडन, नाखून काटना, धूप में बैठना और स्नान करने जैसे नियम बनाए गए हैं। यह नियम स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद होते हैं।
कहा जाता है कि आत्मा का संपर्क अपने परिजनों से उसके बालों के माध्यम से होता है। यदि आत्मा को हमारे साथ रहने का मोह हो जाए, तो उसे मोक्ष नहीं मिलता। इसलिए, अंतिम संस्कार से पहले मुंडन करवाने से मृतक की आत्मा उस व्यक्ति के संपर्क में नहीं आ पाती, जिससे उसे मोक्ष प्राप्त होता है।
इस प्रकार, मुंडन की प्रक्रिया के पीछे कई धार्मिक और वैज्ञानिक कारण हैं। विभिन्न परिवारों में इस परंपरा के अलग-अलग नियम होते हैं। कुछ परिवारों में सभी पुरुष सदस्यों का मुंडन किया जाता है, जबकि कुछ स्थानों पर केवल मृतक के बेटे या मुखाग्नि देने वाले व्यक्ति का ही मुंडन होता है। यह प्रथा आज भी अधिकांश हिंदू परिवारों में मान्य है।
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