मिल्कीपुर उपचुनाव में सियासी बयानबाजी: अखिलेश यादव का डीएनए भगवान कृष्ण से जोड़ा गया

उत्तर प्रदेश के मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव से पहले सपा नेता वीरेंद्र सिंह ने एक विवादित बयान दिया है, जिसमें उन्होंने अखिलेश यादव का डीएनए भगवान कृष्ण से जोड़ा। इस बयान ने भाजपा और सपा के बीच राजनीतिक तनाव को बढ़ा दिया है। भाजपा ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इसे हिंदू भावनाओं का अपमान बताया है। 1990 के अयोध्या कांड का जिक्र करते हुए भाजपा ने सपा की कथनी और करनी में अंतर की बात की है। यह देखना दिलचस्प होगा कि इस विवाद का चुनावी परिणामों पर क्या असर पड़ता है।
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मिल्कीपुर उपचुनाव में सियासी बयानबाजी: अखिलेश यादव का डीएनए भगवान कृष्ण से जोड़ा गया

सियासी बयानबाजी का नया दौर

उत्तर प्रदेश के मिल्कीपुर विधानसभा क्षेत्र में होने वाले उपचुनाव से पहले राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है। समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता वीरेंद्र सिंह ने भगवान राम और कृष्ण का जिक्र करते हुए एक विवादित टिप्पणी की। एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि "मिल्कीपुर का चुनाव भाजपा के लिए महाभारत में कौरवों की तरह है, जो भगवान से धोखे से जीतने का प्रयास कर रहे हैं।"


विवादित बयान पर राजनीतिक प्रतिक्रिया

वीरेंद्र सिंह ने यह भी कहा कि अखिलेश यादव का डीएनए भगवान कृष्ण के समान है। इस बयान ने भाजपा और सपा के बीच राजनीतिक तनाव को और बढ़ा दिया। भाजपा ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की, जिसमें कहा गया कि सपा नेता केवल चुनावी हिंदू हैं। भाजपा प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने कहा, "जो पार्टी रामभक्तों पर गोली चलाने को गर्व समझती है, वही आज हिंदू धर्म और भगवान कृष्ण के डीएनए की बात कर रही है। यह पूरी तरह से राजनीतिक लाभ के लिए किया जा रहा है।"


1990 की घटना का संदर्भ

भाजपा प्रवक्ता ने 1990 में अयोध्या कांड का भी उल्लेख किया, जब मुलायम सिंह यादव की सरकार के दौरान रामभक्तों पर गोली चलाई गई थी, जिसमें 17 लोगों की जान गई थी। त्रिपाठी ने कहा, "सपा की कथनी और करनी में बड़ा अंतर है। रामभक्तों पर गोली चलाने वाले आज हिंदू धर्म का झूठा समर्थन कर रहे हैं।"


चुनाव से पहले का तनाव

मिल्कीपुर विधानसभा सीट के उपचुनाव को लेकर भाजपा और सपा के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। सपा नेता का भगवान कृष्ण और अखिलेश यादव के डीएनए को जोड़ने वाला बयान सपा समर्थकों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है, जबकि भाजपा इसे हिंदू भावनाओं का अपमान मान रही है।


सियासी लाभ या धार्मिक भावना का अपमान?

यह बयान न केवल उपचुनाव को गरमा रहा है, बल्कि दोनों पार्टियों के बीच वैचारिक संघर्ष को भी उजागर कर रहा है। यह देखना दिलचस्प होगा कि मिल्कीपुर के मतदाता इस विवाद पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं और इसका चुनावी परिणामों पर कितना प्रभाव पड़ता है।