मालेगांव विस्फोट मामले में सभी आरोपियों को बरी करने पर ओवैसी ने उठाए सवाल

2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में सभी आरोपियों को बरी करने के बाद एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने अदालत के फैसले को निराशाजनक बताते हुए यह पूछा कि छह लोगों की हत्या किसने की। ओवैसी ने एनआईए की भूमिका पर भी सवाल उठाए और सरकार से जवाबदेही की मांग की। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और ओवैसी की प्रतिक्रिया।
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मालेगांव विस्फोट मामले में सभी आरोपियों को बरी करने पर ओवैसी ने उठाए सवाल

मालेगांव विस्फोट का फैसला

2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में पूर्व भाजपा सांसद प्रज्ञा ठाकुर समेत सभी सात आरोपियों को एक विशेष अदालत ने बरी कर दिया है। इस फैसले के तुरंत बाद, एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने यह सवाल उठाया कि आखिरकार छह लोगों की हत्या किसने की थी? यह निर्णय उस बम विस्फोट के लगभग 17 साल बाद आया है, जिसमें छह लोग मारे गए और सौ से अधिक घायल हुए थे। यह घटना 29 सितंबर 2008 को, मुंबई से लगभग 200 किलोमीटर दूर, सांप्रदायिक तनाव वाले मालेगांव के भिक्कू चौक के पास रमज़ान के पवित्र महीने के दौरान हुई थी। अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपों को साबित करने में असफल रहा और सभी आरोपियों को संदेह का लाभ दिया गया।


ओवैसी की प्रतिक्रिया

अदालत के निर्णय पर प्रतिक्रिया देते हुए ओवैसी ने इसे निराशाजनक बताया। उन्होंने कहा कि विस्फोट में मारे गए छह नमाजी को उनके धर्म के कारण निशाना बनाया गया था। ओवैसी ने आरोप लगाया कि जानबूझकर की गई घटिया जांच और अभियोजन पक्ष की लापरवाही के कारण आरोपियों को बरी किया गया। उन्होंने यह भी पूछा कि क्या मोदी और फडणवीस सरकारें इस फैसले के खिलाफ अपील करेंगी, जैसा कि उन्होंने मुंबई ट्रेन विस्फोटों के मामले में किया था।


एनआईए की भूमिका पर सवाल

एआईएमआईएम नेता ने 2016 में इस मामले की तत्कालीन अभियोजक रोहिणी सालियान के बयान का उल्लेख किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने उनसे नरम रुख अपनाने को कहा था। ओवैसी ने पूर्व आतंकवाद निरोधी दस्ते के प्रमुख हेमंत करकरे का भी जिक्र किया, जो बाद में 26/11 के हमलों में मारे गए थे। उन्होंने कहा कि करकरे ने मालेगांव विस्फोट की साजिश का पर्दाफाश किया था।


मामले की जानकारी

इस घातक विस्फोट के मामले में सात लोगों पर मुकदमा चलाया गया था, जिनमें प्रज्ञा ठाकुर, पूर्व सैन्य अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित, मेजर (सेवानिवृत्त) रमेश उपाध्याय, अजय राहिरकर, सुधाकर द्विवेदी, सुधाकर चतुर्वेदी और समीर कुलकर्णी शामिल थे। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष ने यह साबित किया कि विस्फोट हुआ था, लेकिन एनआईए यह साबित करने में असफल रही कि मोटरसाइकिल में बम लगाया गया था।