मार्गशीर्ष मास की प्रतिपदा: 21 नवंबर 2025 का पंचांग
आज का पंचांग
मार्गशीर्ष मास की प्रतिपदा तिथि: हिंदू कैलेंडर के अनुसार, आज मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा है। वर्तमान में विक्रम संवत 2082 चल रहा है, जिसे कालयुक्त वर्ष कहा जाता है। शुक्रवार के दिन कई स्थानों पर लक्ष्मी पूजा या विशेष अनुष्ठान करने की परंपरा होती है, विशेषकर नए माह की शुरुआत पर।
अमावस्या के बाद आने वाली यह प्रतिपदा नई शुरुआतों का प्रतीक मानी जाती है, जब लोग अपने घरों में छोटे-मोटे कार्य आरंभ करते हैं या चंद्र दर्शन की प्रतीक्षा करते हैं।
खगोलीय विवरण
21 नवंबर 2025 को सूर्योदय सुबह लगभग 6:48 बजे होगा, जबकि सूर्यास्त शाम 5:25 बजे होगा। चंद्रोदय रात में देर से होगा, जो प्रतिपदा के चंद्र दर्शन के लिए उपयुक्त है। शुक्ल प्रतिपदा दोपहर 2:46 बजे तक रहेगी, इसके बाद द्वितीया तिथि शुरू होगी।
नक्षत्र अनुराधा दोपहर 1:48 बजे तक रहेगा, इसके बाद ज्येष्ठा नक्षत्र का प्रभाव होगा। योग अतिगंड सुबह 10:40 बजे तक रहेगा, उसके बाद सुकर्मा योग प्रारंभ होगा। करण की स्थिति में बव करण दोपहर 2:46 बजे तक और फिर बालव करण रहेगा।
राहुकाल सुबह 10:30 से 12 बजे तक रहेगा, इस समय नए कार्यों की शुरुआत से बचना बेहतर है। गुलिक काल सुबह 8:30 से 10 बजे तक और यमगंड दोपहर 3 बजे से 4:30 बजे तक रहेगा। अभिजीत मुहूर्त दोपहर 11:45 से 12:30 बजे तक रहेगा, जो छोटे शुभ कार्यों के लिए उपयुक्त माना जाता है। ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4:50 से 5:45 बजे तक और गोधूलि मुहूर्त शाम 5:25 से 5:50 बजे तक रहेगा।
शुभ और अशुभ समय
इस दिन कई स्थानों पर चंद्र दर्शन की परंपरा देखने को मिलेगी, क्योंकि अमावस्या के बाद पहला चंद्रमा दिखना शुभ संकेत माना जाता है। हेमंत ऋतु की शुरुआत भी इसी समय होती है, जब मौसम ठंडा होने लगता है और लोग गर्म कपड़ों की ओर बढ़ते हैं।
दिशाशूल दक्षिण दिशा में रहेगा, इसलिए यदि आवश्यक न हो तो दक्षिण की यात्रा टालें या गुड़ खाकर निकलें। चौघड़िया में सुबह लाभ-अमृत का समय अच्छा रहेगा, जबकि दोपहर में शुभ चौघड़िया कार्यों के लिए अनुकूल रहेगा।
पंचांग की गणना स्थान के अनुसार थोड़ी भिन्न हो सकती है, इसलिए दिल्ली-एनसीआर के लिए ये समय बताए गए हैं। यदि आप किसी अन्य शहर में हैं, तो स्थानीय पंचांग देख लें, क्योंकि सूर्योदय और नक्षत्र के समय में अंतर आ सकता है। कुल मिलाकर, आज का दिन सामान्य कार्यों के लिए ठीक है, लेकिन बड़े निर्णय या निवेश के लिए अभिजीत या अन्य शुभ मुहूर्त का इंतजार करना बेहतर होगा।
मार्गशीर्ष मास की शुरुआत के साथ ही कई घरों में एकादशी या अन्य व्रत की तैयारी शुरू हो जाती है। यह महीना भगवान विष्णु को समर्पित माना जाता है और गीता जयंती भी इसी मास में आती है। आज प्रतिपदा होने के कारण नए कपड़े या छोटी खरीदारी करने की परंपरा कुछ क्षेत्रों में है, लेकिन राहुकाल का ध्यान रखें। मौसम की बात करें तो उत्तर भारत में ठंड बढ़ रही है, सुबह-शाम कोहरे की चादर छा रही है, जो पंचांग के हेमंत ऋतु से पूरी तरह मेल खाती है।
