मार्गशीर्ष मास 2025: जानें इस पवित्र महीने की विशेषताएँ और नियम
मार्गशीर्ष मास 2025 का आरंभ
मार्गशीर्ष मास 2025
मार्गशीर्ष मास का आरंभ: मार्गशीर्ष मास, जिसे अग्रहायण और अगहन भी कहा जाता है, हिंदू पंचांग का नौवां महीना है। इसका नाम पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की स्थिति के अनुसार 'मृगशीर्ष' नक्षत्र से लिया गया है। धार्मिक ग्रंथों में इसे सबसे पवित्र महीनों में से एक माना गया है। मान्यता है कि इसी महीने से सतयुग की शुरुआत होती है। इस लेख में हम जानेंगे कि यह महीना इतना शुभ क्यों है और इसकी अवधि क्या है।
मार्गशीर्ष मास की शुभता
मार्गशीर्ष के महीने में भगवान विष्णु, श्रीकृष्ण और देवी लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व है। इसे 'मार्गशीर्ष' इसलिए कहा जाता है क्योंकि भगवान कृष्ण ने इसे महीनों में सबसे श्रेष्ठ बताया है। इस कारण, यह महीना भगवान कृष्ण की आराधना के लिए समर्पित माना जाता है।
मार्गशीर्ष मास की अवधि
मार्गशीर्ष मास की शुरुआत कार्तिक पूर्णिमा के अगले दिन से होती है। पंचांग के अनुसार, यह मास 6 नवंबर 2025 से प्रारंभ होगा और 4 दिसंबर 2025 को समाप्त होगा।
मार्गशीर्ष मास में क्या करें?
इस महीने में विष्णुसहस्त्र नाम, भगवतगीता और गजेन्द्रमोक्ष का पाठ करना चाहिए। इसके अलावा, भगवान कृष्ण, श्रीहरि और देवी लक्ष्मी की पूजा करना भी शुभ माना जाता है। स्नान के बाद ब्राह्मण के माध्यम से पितृ तर्पण और पूजा करना आवश्यक है।
मार्गशीर्ष मास में क्या न करें?
इस महीने में तामसिक भोजन (जैसे मांस और मदिरा) से बचना चाहिए। गुस्सा, आलस्य, छल-कपट और ईर्ष्या जैसे दुर्गुणों से दूर रहना चाहिए। माता-पिता और गुरुजनों का अपमान नहीं करना चाहिए और किसी को कटु वचन नहीं बोलने चाहिए। सूर्यास्त के बाद झाड़ू-पोंछा और नाखून काटना भी वर्जित है।
मार्गशीर्ष मास में क्या न खाएं?
इस महीने में तामसिक भोजन (जैसे मांसाहार, प्याज, लहसुन) का सेवन नहीं करना चाहिए। जीरे का भी सेवन नहीं करना चाहिए। अगहन मास में बासी भोजन और कुछ सब्जियों जैसे बैंगन और मूली से परहेज करने की सलाह दी जाती है। इस दौरान सात्विक भोजन का सेवन करना चाहिए।
